आकाशगंगा क्या है?
Aakash Ganga kise kahate hain- दोस्तों आपने रात के आसमान में इन चमकते हुए तारों को जरूर देखा होगा। इन्हें देखकर लगता है कि यह कितने शानदार है। तारों की यह दुनिया हमारे अन्तरिक्ष में मौजूद है। हमारी आँखों से तो सिर्फ इनकी चमक दिखाई देती है।
इनके वास्तविक रूप का नग्न आँखों से पता लगाना बहुत मुश्किल है। लेकिन वर्तमान समय में बड़े-बड़े टेलिस्कोप हमारी इस उलझन को दूर करते हैं। इनसे हमें इन तारों और ओब्जेक्ट्स की खूबसूरती और सच्चाई का पता चलता है। जैसे सभी का एक घर होता है, वैसे ही इन तारों का भी एक घर होता है।
इन तारों के रहने के स्थान को हम आकाशगंगा कहते हैं। अंतरिक्ष में दिखाई देने वाले यह तारे अलग-अलग आकाशगंगाओं में मौजूद है। वैज्ञानिकों ने Space Science को समझने के लिए इन आकाशगंगाओं को अलग-अलग नाम दिए हैं। जैसे हमारी आकाशगंगा का नाम मिल्की-वे आकाशगंगा है।
लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह आता है कि एक आकाशगंगा का पता कैसे चलता है? यानी आकाशगंगा क्या है (Aakash Ganga kise kahate hain)? इसे समझना थोड़ा आसान भी है और मुश्किल भी। तो आइए शुरू करते हैं, हमारा आज का आर्टिक्ल आकाशगंगा क्या है?
आकाशगंगा क्या है?
आकाशगंगा तारों, अंतरिक्ष और अन्य ओब्जेक्ट्स का एक समूह है, जो गुरुत्वाकर्षण बल की मदद से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। हमारे ब्रह्मांड में 100 अरब से अधिक आकाशगंगाएँ हैं, जिनमें से सभी एक बहुत ही खूबसूरत स्ट्रक्चर बनाती है। इन स्ट्रक्चरस को हम टेलिस्कोप द्वारा ली गई फोटोज की मदद से देख सकते हैं।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (डेविस) में खगोल भौतिकी में doctoral candidate जेना सैमुअल ने कहा “सबसे बुनियादी स्तर पर आप तारों, गैस और डार्क मैटर के संग्रह के रूप में एक आकाशगंगा के बारे में सोच सकते हैं। जो सभी गुरुत्वाकर्षण रूप से एक-दूसरे से बंधे हैं।”
“हम एक विशिष्ट आकाशगंगा के रूप में जो इमेज बनाते हैं, वह ज्यादातर चमकीला हिस्सा होता है। यह चमकने वाली चीजें तारे कहलाती है, इनकी रोशनी से हमें एक आकाशगंगा के बारे में पता लगा पाते हैं। लेकिन इनमें एक ऐसी वस्तु भी मौजूद है, जो किसी को दिखाई नहीं देती हैं। जी हाँ- इस वस्तु का नाम है “डार्क मैटर”, जो एक आकाशगंगा में बहुत दूर तक फैला हुआ होता है।”
इसके अलावा सैमुअल ने बताया कि आकाशगंगा के अलग-अलग हिस्से आकाशगंगा को अपना रूप देने के लिए लगातार एक-दूसरे के साथ interacting करते हैं। डार्क मैटर अधिकांश गैलेक्सी को द्रव्यमान प्रदान करता है, जो गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके सबको एक साथ जोड़े रखता है।
लेकिन तारे एक आकाशगंगा को भी आकार देते हैं और उनकी ऊष्मा गैस और धूल के चारों ओर रहती है। जब तारे spectacular supernovas में मरते हैं, तो वे अपने पास और दूर तक सामग्री बिखेरते हैं। एक आकाशगंगा वास्तव में इन सभी घटकों का एक विकसित रूप है।
Overview
पृथ्वी और हमारा सौर मंडल एक आकाशगंगा में हैं। जो एक बड़ी सर्पिली आकाशगंगा है, जिसमें 100 अरब से 400 अरब तक तारे हैं। ये रात के आकाश में एक चमकीले बैंड के रूप में दिखाई देते हैं जो गिरा हुआ दूध जैसा दिखता है। इसलिए प्राचीन रोमियों ने इसे वाया लैक्टिया कहा, जो कि ‘मिल्की वे’ के लिए एक लैटिन शब्द है।
लगभग हर ज्ञात आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है, जो आकाशगंगा की विशेषताओं को निर्धारित करने में भी भूमिका निभाता है। सैमुअल ने कहा कि जब ब्लैक होल आसपास की गैस और धूल निगल रहा होता है, तो यह दानव इतनी अधिक सामग्री का उपभोग करता है कि वह एक तारे के निर्माण को रोक सकता है। गैस और धूल जिनसे आमतौर पर तारे का निर्माण होता है, वो सभी इस सुपरमैसिव ब्लैक होल के द्वारा निगल ली जाती है।
ब्लैक हॉल कितना खतरनाक होता है?
जब एक supermassive black hole लगातार वस्तुओं को निगलता है तो वह अपने अंदर से ऊर्जा के विशाल जेट उत्सर्जित करता है। ऊर्जा के ये जेट आसपास की सामग्री को गर्म कर सकते हैं, जो आसपास की सामग्री नीचे गिरने से रोकती है। इस तरह से एक नए सितारे का जन्म होने के भी चान्स बढ़ जाते हैं।
हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे के केंद्र में भी एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है। लेकिन इस समय यह विशेष रूप से सक्रिय नहीं है। क्योंकि यह अभी ठंडे दौर में है, जो कुछ वर्षों बाद शायद सक्रिय हो जाए।
आकाशगंगाओं के प्रकार
मिल्की वे एक सर्पिल प्रकार की आकाशगंगा है। जिसका अर्थ है कि यह सपाट और बड़ी है। इस आकाशगंगा के मध्य या केंद्र का भाग उभरा हुआ है, इस कारण इसे केन्द्रीय उभार के नाम से जाना जाता है। यही केंदीय उभार इसे सर्पिल आकृति का बनाता है।
इस प्रकार की सर्पिल आकाशगंगाएँ मध्यम गति से तारों का निर्माण करती हैं और आमतौर पर इनका द्रव्यमान मिल्की वे के ही समान होता है। सभी तारों, गैस, धूल और डार्क मैटर को मिलाकर एक सर्पिल आकाशगंगा, सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 1 ट्रिलियन गुना है।
इसके अलावा ब्रह्मांड में बौनी आकाशगंगाएँ भी मौजूद है, जो सर्पिल आकाशगंगाओं की तुलना में बहुत कम विशाल है और इनमें व्यवस्थित संरचना का अभाव है। “ये अनियमित आकार की होती हैं और गोलाकार बूँद की तरह दिखाई देती हैं।
अधिकांश बौनी आकाशगंगाएँ Milky Way के आकार जैसी बड़ी आकाशगंगाओं की परिक्रमा करती हैं। इसके अलावा कई बौनी आकाशगंगाएँ तारों के निर्माण के साथ फट रही हैं। इन आकाशगंगाओं का द्रव्यमान आम तौर पर सूर्य के द्रव्यमान के 10 मिलियन से 1 बिलियन गुना के बीच होता है।
इसके अलावा विशाल अण्डाकार आकाशगंगाएँ (elliptical galaxies) एक अन्य प्रकार की आकाशगंगा हैं, जो Milky Way से बहुत बड़ी हैं। “ये कुछ गोलाकार और अंडे के आकार जैसी दिखती हैं। इन आकाशगंगाओं के तारे बहुत पुराने होते हैं और इनमें नए तारों का निर्माण नहीं होता है। अण्डाकार आकाशगंगाएँ बहुत भारी होती हैं, जो अक्सर 100 ट्रिलियन या सूर्य के द्रव्यमान से 1 क्वाड्रिलियन (1000 trillion) गुना अधिक भारी होती हैं।
हमारे नजदीक की आकाशगंगाएँ
हमारी आकाशगंगा Milky Way के सबसे नज़दीक ज्ञात आकाशगंगा Sagittarius है। नासा के अनुसार Sagittarius एक बौनी आकाशगंगा है, जो पृथ्वी से लगभग 70,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
Sagittarius, Milky Way आकाशगंगा के इतने करीब है कि यह इसके साथ विलय करने की प्रक्रिया में है। जिसका अर्थ है कि हमारी आकाशगंगा की भयानक गुरुत्वाकर्षण शक्ति इसके घटकों (components) को अपने अंदर निगल रही है।
इसके अलावा Canis Major Dwarf नाम की एक और भी करीब की आकाशगंगा पृथ्वी से केवल 25,000 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। लेकिन ये मिल्की वे में इतनी घुल-मिल गई है कि इसके कई तारे रात के आकाश में बिखरे हुए नजर आते हैं। अगले अरब वर्षों में कैनिस मेजर पूरी तरह से Milky Way में विलीन हो जाएगी।
इसके कई अन्य satellite galaxies Milky Way की कक्षा में मौजूद है। जैसे की हमारे सूर्य के चारों और इसके ग्रह मौजूद है। हमारे नजदीक सबसे प्रसिद्ध दो companion galaxies है, जिनके नाम Large Magellanic Cloud और Small Magellanic Cloud है। यह आकाशगंगाएँ केवल धरती के दक्षिणी गोलार्ध से दिखाई देती हैं। नासा के अनुसार, लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड, मिल्की वे से 179,000 प्रकाश वर्ष दूर है। जबकि छोटा मैगेलैनिक क्लाउड 210,000 प्रकाश वर्ष दूर है। एक दिन वे भी हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में विलीन हो जाएगी।
हमारे सबसे निकटतम सबसे बड़ी आकाशगंगा एंड्रोमेडा या एम 31 है। यह धरती से लगभग 2.5 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक बड़ी सर्पिल आकाशगंगा है। गुरुत्वाकर्षण की आकर्षक शक्ति मिल्की वे और एंड्रोमेडा को एक-दूसरे के नजदीक खींच रही है। हाल ही में हुई शोध से पता चलता है कि ये दोनों लगभग 4.5 अरब वर्षों में एक-दूसरे से टकराएगी।
गैलेक्सी का निर्माण कैसे होता है?
अधिकांश आकाशगंगाएँ अरबों साल पुरानी हैं। कोई नहीं जानता कि पहली आकाशगंगा का निर्माण कब हुआ था, लेकिन telescope की मदद से पता चलता है कि ब्रह्मांड के अस्तित्व की शुरुआत में केवल छोटी और बौनी आकार की आकाशगंगाएँ थीं। मिल्की वे जैसी बड़ी और उससे अधिक विशाल आकाशगंगाएँ समय के साथ कई छोटी आकाशगंगाओं से मिलकर बनी, जो एक दूसरे में विलीन हो गई थी।
इस बात का पता लगाना मुश्किल है कि हमारी आकाशगंगा मिल्की वे कब बनी थी। हाल ही के अध्ययन से पता चलता है कि हमारी आकाशगंगा ने लगभग 7 अरब साल पहले अनेकों आकाशगंगाओं के विलय से अपने वर्तमान द्रव्यमान का लगभग आधा हिस्सा प्राप्त कर लिया था। यही वह समय है जब वास्तव में Milki Way अपने आज के रूप की तरह दिखाई देने लगी थी।
जब कई सर्पिल आकाशगंगाएँ एक साथ मिलती है, तो विशाल अण्डाकार आकृतियाँ बनती हैं। खगोलविद ज्यादातर इन आकाशगंगाओं को ब्रह्मांड के घने क्षेत्रों में देखते हैं, जहां कई आकाशगंगाएं ब्रह्मांड में एक साथ खत्म हो गई थी।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिक्ल में हमने आकाशगंगा क्या है (Aakash Ganga kise kahate hain)? के बारे में विस्तार से पढ़ा है। वैसे कहने को कुछ भी कहो, लेकिन हमारे अंतरिक्ष में बहुत रहस्य छिपा हुआ है। हम इंसान प्रकृति की ताकत को कभी नहीं समझ पाएंगे।
आकाशगंगा क्या है (Aakash Ganga kise kahate hain)? आर्टिक्ल आपको कैसा लगा, हमें कमेंट कर जरूर बताएं। आपका प्रत्येक विचार हमारे अमूल्य है। अगर आपको इसमें किसी प्रकार की कोई और जानकारी चाहिए तो भी आप हमें कमेंट में बता सकते हैं।
इसके अलावा मुझे आकाशगंगा क्या है (Aakash Ganga kise kahate hain)? आर्टिक्ल में सबसे बढ़िया जानकारी हमारे नजदीक मौजूद आकाशगंगाओं के बारे में जानना अच्छा लगा।
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