बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti)
बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti)– सब्जियाँ हमेशा से ही किसानों के लिए फायदे का सौदा रही है। जब कभी लगता है कि अब खेती में किसी प्रकार का फायदा नहीं होने वाला है। सब्जी उसी समय एक वरदान के रूप में काम करती है। आज हर किसान थोड़े क्षेत्र में ही भले परंतु किसी न किसी प्रकार की सब्जी की खेती जरूर करता है।
इसके अलावा गाँव या शहर में जिनके घर बड़े होते हैं, वो एक या दो प्रकार की सब्जी का उत्पादन जरूर करते हैं। क्योंकि जो सब्जियाँ घर में लगाई जाती है, वो पूरी तरह से जैविक सब्जी होती है। उसमें किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है।
भारत में पूरे साल अलग-अलग प्रकार की सब्जियाँ उगाई जाती है। लेकिन बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा सब्जी का उत्पादन किया जाता है। क्योंकि इस समय मानसून के पानी में आसमान से पौष्टिक तत्वों की बारिश होती है। जिसके कारण यह सब्जियाँ अच्छा उत्पादन देती है।
आज हम बरसात या जुलाई के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियों के बारे में बात करेंगे। बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) करना बहुत कठिन काम है। क्योंकि अगर बारिश ज्यादा हो गई तो वो पूरी फसल को बर्बाद कर देगी।
तो चलिए शुरू करते हैं बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) कैसे की जाती है? लेकिन सबसे पहले बरसात में कौनसी-कौनसी सब्जी की खेती की जाती है इसके बारे में जान लेते हैं।
बरसात की सब्जियों के नाम
खीरा
खीरा सलाद में खाए जाने वाली सब्जी में सबसे अच्छा माना जाता है। बरसात की ऋतु में बोई जाने वाली खीरे की फसल सबसे उत्तम मानी जाती है। खीरे में लगभग 96% पानी होता है, इस कारण इसे ज्यादा से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। बरसात के मौसम में पानी की आपूर्ति अच्छे से हो जाती है।
आमतौर पर खीरे की खेती के लिए 120-150 मिलीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है। साथ ही 25-30 डिग्री तापमान इसके लिए सबसे उत्तम रहता है। खीरे की खेती के लिए भूमि में जलनिकासी अच्छे से होना चाहिए। साथ ही बुआई करने से पहले जमीन को भूरभूरा बना लेना चाहिए। ताकि इसमें बीज को सही तरीके से बोया जा सके।
बिजाइ करते समय एक बात का अवश्य ध्यान रखे कि बीज से बीज की दूरी 4 फीट से ज्यादा और कम नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा बुवाई के समय एक जगह पर दो बीजों को लगाना चाहिए, ताकि जब एक बीज किसी प्रकार से कामयाब न हो तो दूसरा लग जाए। अगर दोनों ही लग जाते हैं, तो आप बेल के बड़े होने पर एक को उखाड़ भी सकते हैं।
बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) के लिए सबसे खीरे के पौधों का अच्छे से ध्यान रखना होता है। अगर बरसात समय पर न आए तो उचित सिंचाई का प्रबंध रखना भी बहुत जरूरी है। नहीं तो पौधों की जड़ों में रोग लग जाने का खतरा बना रहता है।
भिंडी
बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में भिंडी की फसल अच्छा उत्पादन देती है। भिंडी लगभग प्रत्येक इंसान की पसंदीदा सब्जियों में से एक है। करारी भिंडी का जायका तो सबसे अलग ही होता है। इसी कारण भिंडी की हमेशा बाजार में मांग बनी रहती है।
बारिश के मौसम में भिंडी की खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस समय पानी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोगों से भिंडी को बचाया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों को देखे तो बरसात में भिंडी की खेती से प्रति एकड़ 40-50 क्विंटल का उत्पादन किया जा रहा है।
भिंडी की खेती करने से पहले आपको जमीन की अच्छी तरह से जुताई करनी होगी। ताकि बीजों के उगने में किसी भी प्रकार की समस्या न हो। बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में गोबर की खाद का बहुत योगदान रहता है। क्योंकि इस समय गोबर की खाद अच्छी तरह से गल जाती है। जिससे फसल में इसका छिड़काव करने से बहुत अच्छी उपज होती है।
टमाटर
टमाटर उन सब्जियों में से है, जिसको पूरे साल उपयोग में लिया जाता है। हर समय बाजार में भरी मांग रहने के कारण टमाटर की खेती एक मुनाफे वाली खेती होती है। टमाटर की खेती कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती है। इस कारण इसे छोटे से लेकर बड़ा किसान आसानी से कर सकता है।
टमाटर की फसल को जून-जुलाई में बोया जाता है। यह समय बारिश का होता है, इस कारण इसे बरसाती टमाटर की खेती भी कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े देखें तो इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल टमाटर का उत्पादन आसानी से किया जा रहा है।
बरसात में टमाटर की खेती करने से टमाटर के पौधे को प्रचूर मात्रा में पौष्टिक तत्व मिलते हैं। इस कारण जब पौधों पर फल लगने का समय आता है, तब इनमें ज्यादा खाद एवं उर्वरक का उपयोग नहीं करना पड़ता है। आपने कभी गौर किया होगा, कि बरसात में आने वाले टमाटर गहरे लाल रंग के होते है। जबकि ठंड की ऋतु में आने वाले टमाटर हल्के लाल रंग के होते है।
इसका मुख्य कारण यह है कि टमाटर का पौधा ज्यादा ठंड सहन नहीं कर पाता है। इस कारण उसके फल कच्चे रह जाते है। जबकि बरसात में तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है, जो टमाटर को अच्छे से पककर तैयार कर देता है। आपको टमाटर की खेती के लिए अच्छी और उच्च गुणवता वाले बीजों का चयन करना है।
प्याज
बरसाती प्याज की खेती करना बहुत ही आसान है। इसके बारे में हमने एक लेख में विस्तार से बताया है। आप इसे बरसाती प्याज की खेती इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। इसकी फसल बरसात की ऋतु में सबसे कामयाब मानी जाती है, क्योंकि इस समय मौसम में नमी अच्छे ढंग से बनी रहती है।
बरसात में सब्जी की खेती में प्याज की फसल को अप्रैल महीने में खेतों में लगाया जाता है। हालांकि इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना जरूरी है कि पौधों की रोपाई के समय तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न हो। क्योंकि वातावरण में ज्यादा तापमान से पौधों के खत्म होने की आशंका बनी रहती है।
प्याज की रोपाई करने से पहले किसी भी नजदीक कृषि अनुसंधान केंद्र पर जाकर मिट्टी के पीएच मान को परख लेना चाहिए। अगर भूमि का पीएच मान 5.5-6.5 के मध्य रहता है, तो आप इसकी बुवाई कर सकते हैं। इसके बाद खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए।
इसके बाद आपको नर्सरी तैयार करनी होती है, जिसके लिए एक हेक्टेयर में 10-15 किलो बीज की आवश्यकता होती है। प्रत्येक बीज को 1-1.5 सेमी. की दूरी पर बोना चाहिए। इसके बाद आप इनकी खेत में रोपाई कर सकते हैं। पौधों की रोपाई 10 सेमी. की दूरी पर करनी चाहिए। इस तरह से आप बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में प्याज की खेती कर सकते हैं।
टिंडा
टिंडे की खेती करना सबसे आसान और लाभकारी माना जाता है। टिंडे की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। इस कारण यह उत्तरी-पश्चमी भारत में सबसे ज्यादा बोई जाती है। यह एक खरीफ की फसल है, इस कारण इसे बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) का श्रेय दिया जाता है।
हालांकि हमें स्वाद में टिंडा उतना अच्छा नहीं लगता है, लेकिन यह एक गुणकारी सब्जी है। जिसमें प्रचुर मात्रा में औषधीय तत्व पाए जाते है। इसकी खेती बलुई मिट्टी पर की जाती है। जिसका पीएच मान 5.5-7 के बीच होना चाहिए। हालांकि आजकल दोमट्ट मिट्टी में भी इसकी खेती की जाती है।
टिंडे की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। भारत में यह समय मानसून का होता है, जिसका इस फसल को बहुत फायदा होता है। बारिश के बिना टिंडे का अच्छा उत्पादन संभव नहीं है। हालांकि आजकल कुछ इंसान फंवारा सिंचाई विधि से सिंचाई कर रहे है, जिससे उत्पादन पर अच्छा-खासा प्रभाव पड़ता है।
हाल ही में जारी हुए आंकड़ों से पता चलता है कि टिंडे की फसल से प्रति हेक्टेयर 80-120 क्विंटल की पैदावार की जा रही है। पिछले कुछ समय से बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी बनी हुई है। इसलिए टिंडे की खेती बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में सबसे किफ़ायती मानी जाती है।
करेला
करेला एक महत्वपूर्ण सब्जी है, क्योंकि यह कई बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान देता है। खासकर मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक वरदान का रूप है। कुछ लोग इसे कड़वा तरबूज भी कहते है, क्योंकि यह स्वाद में बहुत कड़वा होता है।
भारत के उत्तरी और मध्य भाग की जलवायु करेले की खेती के लिए उत्तम मानी जाती है। क्योंकि करेले की खेती के लिए 20-35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना बहुत जरूरी है। बलुई और जलोढ़ मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में करेले को जून-जुलाई के मध्य बोया जाता है। इसकी बुवाई की विधि बहुत ही आसान है। लेकिन इसे बहुत सावधानी से करना पड़ता है। आमतौर पर 2-2.5 सेमी. की दूरी पर 2-3 बीजों को एक साथ बोया जाता है। बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए कई किसान इसके बीजों को पूरी रात पानी में भिगोकर रखते हैं।
बुवाई के 2 महीनों के बाद करेले तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी तुड़ाई 3-4 दिनों के अंतराल में करते रहना चाहिए, ताकि करेले के फल कहीं जल्दी न पक जाएँ। करेले की खेती से आप 80-90 क्विंटल/हेक्टेयर फसल का उत्पादन कर सकते हैं। बाजार में हमेशा इसकी अच्छा भाव रहता है, जिस कारण इससे अच्छी-ख़ासी आमदनी की जा सकती है।
मिर्च
मिर्च की फसल एक नकदी फसल है, जिससे बहुत लाभ कमाया जा सकता है। बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में मिर्च की खेती करना बहुत लाभकारी होता है। जिसके लिए अच्छी तकनीक से खेती करना बहुत जरूरी है।
हरी मिर्च की खेती के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। साथ ही अगर हवा में नमी हो तो इसकी पैदावार बहुत होती है। इस कारण से गर्म और आद्र जलवायु इसकी खेती के लिए सबसे उत्तम रहती है। 100 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र में मिर्च की सबसे ज्यादा खेती की जाती है।
मिट्टी की बात करें तो इसके लिए दोमट्ट और बलुई मिट्टी बढ़िया रहती है। साथ ही फसल की बुवाई से पहले खेत में गोबर की खाद को अच्छे से मिला लेना चाहिए। फिर इसके बाद में उचित ढंग से क्यारियों को बनाना चाहिए। ताकि मिर्च के पौधे आसानी से उग सकें।
पैदावार की बात जाएँ तो आप प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल हरी मिर्च का उत्पादन कर सकते है। साथ ही आप 30 क्विंटल/हेक्टेयर लाल मिर्च का उत्पादन कर सकते है। इस तरह से बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में यह हमेशा फायदे का सौदा रहती है।
बैंगन
बैंगन का भारत में बहुत उत्पादन होता है, पूरे विश्व में चीन के बाद सबसे ज्यादा बैंगन का उत्पादन भारत में किया जाता है। बैंगन मानव शरीर के लिए बहुत लाभकारी है, यह पेट की बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। साथ ही इसकी सब्जी और भर्ता बहुत स्वाद बनता है।
बैंगन की खेती बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) में किसानों को अच्छा फायदा पहुंचाती है। उत्तर भारत के किसान बैंगन की खेती पर बहुत भरोसा जताते हैं। आमतौर पर बैंगन बैंगनी रंग का होता है, परंतु दुनियाभर में सफ़ेद, हरा और पीला बैंगन भी पाया जाता है।
5-7 पीएच और उपजाऊ मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है। शुष्क और आद्र जलवायु में बैंगन की फसल अच्छी पैदावार देती है। इसके अलावा बैंगन की खेती के लिए मध्यम बारिश की आवश्यकता होती है। बैंगन के पौधों की रोपाई के समय तापमान 20 डिग्री के आसपास होना चाहिए।
बैंगन के पौधों को रोगों से बचाने के लिए अच्छे कीटनाशक का उपयोग करना बहुत जरूरी है। बैंगन की फसल से प्रति हेक्टेयर 400-500 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है। आमतौर पर बैंगन का भाव 10-15 रुपए रहता है, लेकिन फिर भी कम लागत की फसल होने के कारण आप इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
तो दोस्तों कैसे लगी आपको हमारी पोस्ट बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) कैसे करें? अगर आपको बरसात में सब्जी की खेती (Barsat Me Sabji Ki Kheti) कैसे करें? लेख में किसी भी प्रकार की कोई गलती दिखाई देती है तो आप हमें कमेंट में बता सकते हैं।