बरसाती प्याज की खेती कैसे करें? (Barsati Pyaj Ki Kheti Kaise Karen)
बरसाती प्याज की खेती कैसे करें? (Barsati Pyaj Ki Kheti Kaise Karen)- प्याज लोगों की सबसे पसंदीदा सब्जी में से एक है। प्रत्येक घर की रसोई में आपको प्याज जरूर मिलेगा। बनी हुई कुछ सब्जियाँ तो आप बिना प्याज के सोच ही नहीं सकते। क्योंकि प्याज का स्वाद सब्जी और मसाले को शानदार बनाता है। इस प्रकार प्याज का मसाले के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
रोज़मर्रा की जिंदगी में उपयोग होने वाले प्याज की हमेशा बाजार में मांग रहती है। इसके अलावा प्याज सालभर सब्जी मंडियों में बिकता है। इसका अपना कोई मौसम नहीं है। हालांकि गर्मी के मौसम में इसकी खपत ज्यादा बढ़ जाती है। उत्तर भारत में रहने वाले लोग लू से बचने के लिए कच्चे प्याज का सेवन करते हैं।
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बाजार में भारी मांग को देखकर प्याज की खेती हमेशा एक फायदे का सौदा होती है। प्याज की खेती करना काफी आसान और लाभदायक है। आज के हमारे इस लेख में हमने “बरसाती प्याज की खेती कैसे करें? (Barsati Pyaj Ki Kheti Kaise Karen)” आपके इस सवाल का जवाब बहुत अच्छे से दिया है। इसलिए आप इस लेख के प्रत्येक पहलू को गौर से पढ़ें एवं समझें।
प्याज की जानकारी
प्याज का वानस्पतिक नाम एलियम सेपा है और यह लिलियासी परिवार से संबंधित है। इसके निकटतम रिश्तेदार Shallots, लहसुन और लीक हैं। यह एक बल्बनुमा पौधा है। पत्तियों की संरचना अर्ध-बेलनाकार या ट्यूबलर होती हैं। इसका तना 200 सेमी तक ऊँचा होता है। फसल पकने के बाद तने की नोक फूल पर दिखाई देते हैं, जो हरे-सफेद रंग के होते हैं। प्याज के केंद्रीय कोर के चारों ओर कई परतें होती हैं और यह व्यास में 10 सेमी तक फैल सकती है।
बरसाती प्याज की खेती कैसे करें? (Barsati Pyaj Ki Kheti Kaise Karen)
प्याज ठंड के मौसम की फसल है, इसकी कठोरता के कारण इसे उगाना आसान है। गर्मियों के मध्य तक आप अलग-अलग तरीके से प्याज की खुदाई शुरू कर सकते हैं। प्याज को वसंत या पतझड़ में भी लगाया जा सकता है। इस ऋतु में तैयार होने वाली प्याज की फसल को बरसाती प्याज की खेती (Barsati Pyaj Ki Kheti) कहते हैं।
हालांकि हम आपको इस लेख में सीधी और बरसाती प्याज की खेती कैसे करते हैं (Barsati Pyaj Ki Kheti Kaise Karen)? के बारे में विस्तार से बताएँगे। प्याज के पौधे कम से कम 4 इंच ऊंची क्यारी या उठी हुई पंक्तियों में अच्छी तरह विकसित होते हैं। हम आमतौर पर सफेद, पीले और लाल प्याज की खेती करते हैं।
समय
प्याज की खेती दो समय में की जा सकती है- एक रबी के मौसम में और दूसरी खरीफ के मौसम में। रबी के मौसम में इसकी नर्सरी अक्टूबर और नवंबर महीने में लगाना सबसे उत्तम रहती है। पौधों की रोपाई दिसंबर के अंत और जनवरी के शुरुआत में की जाती है।
खरीफ के मौसम में इसकी नर्सरी मार्च में तैयार की जाती है और रोपाई अप्रैल में की जाती है। 3 महीनों के बाद प्याज की फसल पककर तैयार हो जाती है। फिर इसकी खुदाई कर प्याज को जमीन से निकाला जाता है। खुदाई के बाद प्याज को अच्छे तरीके से संग्रहीत किया जाता है, ताकि वो खराब न हो।
जलवायु
प्याज की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे उत्तम रहती है। देशभर में अधिकतर प्याज की खेती रबी के मौसम में की जाती है। लेकिन आजकल प्याज की बढ़ती मांग को देखकर इसका खरीफ के मौसम में भी उत्पादन किया जाता है।
जिस समय नर्सरी तैयार की जाती है, उस समय तापमान 20-27 डिग्री सेल्सियस के मध्य होना चाहिए। यानी बीजों के अंकुरण के समय सबसे उत्तम तापमान 25 डिग्री होता है। परंतु जब पौधे का विकास होता है, उस समय 30-35 डिग्री का तापमान आवश्यक होता है।
मिट्टी
प्याज की खेती के लिए बालू दोमट्ट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। एक बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि भूमि का पीएच मान 5.5-6.5 के बीच होना चाहिए। अगर आप अपने खेत की मिट्टी का पीएच मान चेक करवाना चाहते है, तो आप अपने नजदीकी कृषि अनुसंधान का दौरा कर सकते हैं।
इसके अलावा आप दूसरी प्रकार की मिट्टी में भी इस फसल का उत्पादन कर सकते हैं। लेकिन एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि मिट्टी ज्यादा नम और भारी न हो। साथ ही मिट्टी जल को अवशोषित करने की क्षमता रखती हो, ताकि पौधों के मध्य पानी इकट्ठा न हो सके।
खेत की तैयारी
बरसाती प्याज की खेती (Barsati Pyaj Ki Kheti) करने के लिए खेत को बहुत अच्छे से तैयार करना होगा। खेत तैयार करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि खेत समतल या एकल ढलान वाला होना चाहिए। ताकि पानी का जमाव न हो, जमा हुआ पानी प्याज की पक्की फसल को बर्बाद कर सकता है।
खेती को तैयार करते समय रोटावेटर काफी उपयोगी है, क्योंकि यह पिछली बची हुई फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिला देता है। साथ ही रोटावेटर मिट्टी को भूरभुरा और नरम बना देता है। जिसमें प्याज के पौधों का आसानी से रोपण किया जा सकता है।
एक बार खेती तैयार होने के बाद इसमें मध्यम ऊंचाई की क्यारियाँ बनाई जाती है, क्योंकि प्याज के पौधे इन्हीं क्यारियों पर रोपित किए जाते हैं। क्यारी बनाते समय आप इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि क्यारियाँ एकदम सीधी पंक्ति में होनी चाहिए।
खेत को तैयार करते समय उसमें गोबर की खाद या जैविक खाद का छिड़काव करना चाहिए। क्योंकि गोबर की खाद में उत्पादन क्षमता काफी अधिक होती है, साथ ही यह जमीन को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती है। आप प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा किसान रासायनिक खाद का भी इस्तेमाल करते हैं। जिसमें आप डीएपी, यूरिया, सुपर फॉस्फेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। खाद डालने के बाद इसको रोटावेटर की मदद से खेत में पूरी तरह मिश्रित कर देना चाहिए। अगर खाद का मिश्रण अच्छे तरीके से नहीं होगा तो वो अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाएगी।
नर्सरी तैयार करना
नर्सरी तैयार करने से पहले बीज की गुणवता का मूल्यांकन करना आवश्यक होता है। बीज खरीदने से पहले उसे अच्छी तरह से जांच लेना चाहिए। हमेशा उच्चतम गुणवता वाले बीज को ही खरीदना लाभदायक होता है। क्योंकि ऐसे बीज से तैयार हुए पौधों में रोग लगने के बहुत कम चान्स होते है। एक हेक्टेयर में 10-15 किलो बीज की जरूरत होती है।
बीज खरीदने के बाद खेत में क्यारियाँ को अच्छे से परख लेना चाहिए। क्यारियों की परख के बाद उनपर बीज बोने चाहिए। एक बात का विशेष ध्यान रखे, बीज न तो ज्यादा दूरी पर हो और न ही कम। प्रत्येक बीज के बीच की दूरी 1 से 1.5 सेमी. होनी चाहिए।
इस तरह से पूरे खेत में बीज की बुवाई कर देनी चाहिए। बीज बोने के बाद क्यारियों को मिट्टी या गोबर की खाद का मिश्रण बनाकर ढ़क देना चाहिए। साथ ही हल्का-फुल्का घास भी इस पर डाल देना चाहिए, ताकि पौधों पर सूरज की गर्मी का ज्यादा प्रभाव न पड़ें।
फिर इसके बाद बीज उगने तक रोजाना सुबह फुंवारे से हल्की-हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बीज उगने के बाद घास को हटा देना चाहिए और समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए। 8-10 सप्ताहों के बाद पौधे रुपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
रोपाई करना
नर्सरी में पौधों के तैयार होने के बाद इनकी रोपाई की जाती है। खरीफ की फसल में रोपाई का आदर्श समय जुलाई-अगस्त और रबी की फसल में दिसंबर-जनवरी होता है। रोपाई हमेशा समतल क्यारियों में की जाती है। क्यारियों की लंबाई और चौड़ाई आप अपने क्षेत्र के हिसाब से रख सकते हैं।
इसके बाद स्वस्थ पौधों का चयन करना चाहिए, ताकि बाद में इनमें किसी प्रकार का रोग न लगे। पौधों की रोपाई सामान्यतः 10 सेमी. की दूरी पर करनी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब प्याज जमीन में विकसित होगा तो दूसरा प्याज उस पर कोई प्रभाव न डालें।
रोपाई करने से पहले पौधों को कार्बेड़ाजिम और डाईमेथोएट के घोल में अच्छे से डुबोकर साफ कर लेना चाहिए। हालांकि ऐसा ज्यादा दबाव से नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पौधों के टूटने का डर बना रहता है। इस तरह से पौधों की रोपाई करने के बाद प्याज के उत्पादन क्षमता अधिक हो जाएगी।
सिंचाई
बरसाती प्याज की खेती (Barsati Pyaj Ki Kheti) में सिंचाई का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है। कम और अधिक सिंचाई पौधों को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे बरसाती प्याज की खेती (Barsati Pyaj Ki Kheti) के उत्पादन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
10-12 दिनों के बाद सिंचाई करना सबसे उत्तम रहता है। पूरी फसल प्राप्त करने के लिए कम से कम 15 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा प्याज की खेती में टपक सिंचाई को सबसे उत्तम माना जाता है। तकरीबन 25-40 हजार रुपए/हेक्टेयर का एक ऐसा डिज़ाइन आता है, जिसमें आप टपक-टपक सिंचाई का उपयोग कर सकते हैं।
टपक सिंचाई सामान्य सिंचाई की तुलना में 70% पानी कम खर्च करती है। इसके अलावा इस डिज़ाइन में आप एक घंटे में जीतने पानी का उपयोग करना चाहते हैं, उसका मीटर लगा होता है। साथ ही कई राज्य सरकारें टपक प्रणाली को प्रोत्साहन देने के लिए इन डिज़ाइनों पर सब्सिडी भी देती है।
खाद एवं उर्वरक
अन्य फसलों की तरह ही गोबर की खाद बरसाती प्याज की खेती (Barsati Pyaj Ki Kheti) के लिए सबसे उत्तम है। 20-30 टन/हेक्टेयर गोबर की सड़ी हुई खाद इसके लिए पर्याप्त है। इसके अलावा पोटाश, नाइट्रोजन एवं फॉसफोरस का भी उपयोग करना चाहिए।
गोबर की खाद को रोपाई से पहले अच्छी तरह से खेत में मिला लेना चाहिए। ताकि जब रोपाई की जाए तो जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ जाए। इसके बाद पोटाश, नाइट्रोजन, फॉसफोरस का उपयोग अपने क्षेत्र के अनुसार करना चाहिए। इसके लिए आप किसी कृषि सलाहकार से सलाह ले सकते हैं।
खरपतवार और कीट नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथ से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। रोपाई के 10-15 दिन बाद खेत में खरपतवार बढ़ना शुरू होने लगता है, उस समय पौधों की जड़ों में से कचरे को हाथ से निकाल देना चाहिए। इसके अलावा आप खरपतवार नाशक दवाओं का भी उपयोग कर सकते हैं।
कीट का नाम | नुकसान | नियंत्रण |
पर्णजीवी व थ्रिप्स | पत्तियों को काटकर नुकसान पहुँचाते हैं। | एमिडा क्लोप्रिड का उपयोग |
पत्तों का बैंगनी होना | पत्तों पर बैंगनी धब्बे बनने लगते हैं। जिससे समय के साथ पौधे झुलसने लगते हैं। | मैंकोजेब का समय-समय पर छिड़काव करें |
अंगमारी और झुलसा | पौधे काले रंग के होकर झुलसने लगते हैं। | कॉपर ओक्सिक्लोराइड का छिड़काव करें |
भंडारण के समय प्याज का सड़ना | अत्यधिक आद्रता की स्थिति में कन्द सड़ने लगते हैं। | प्याज की खुदाई के बाद थाइरम का उपयोग करना चाहिए। |
प्याज की खुदाई
तकरीबन 5 महीनों के बाद प्याज के पौधे पूरी तरह से पककर तैयार हो जाते हैं। इस समय में आप पौधों की खुदाई कर प्याज को निकाल सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि इस समय पत्तियाँ पीली होने लगती है। इसके अलावा ऊपर वाली पत्तियाँ कमजोर होकर गिरने लगती है।
बस यही समय प्याज की खुदाई का उपयुक्त समय होता है। अब आप हाथ और औज़ार की सहायता से इनकी खुदाई कर सकते हैं। खुदाई होने के बाद 15-20 पौधों को समेत पत्तियों के साथ बंडल बनाकर खेत में सूखा देना चाहिए। इस बात का खास ध्यान रखें कि कहीं धूप ज्यादा न हों, नहीं तो प्याज के सड़ने का खतरा बना रहेगा।
इस तरह से आप प्याज को निकालकर अच्छे से भंडारण कर सकते हैं। भंडारण ऐसी जगह पर करना चाहिए, जहां हवा का क्रॉस होता रहें। भंडारण की जगह का चुनाव ऐसी जगह करना चाहिए, जहां नमी की मात्रा न के बराबर हो। अच्छी तरह से बरसाती प्याज की खेती (Barsati Pyaj Ki Kheti) करने पर प्रति हेक्टेयर 300-400 क्विंटल प्याज प्राप्त किए जा सकते हैं।
तो यह थी बरसाती प्याज की खेती (Barsati Pyaj Ki Kheti) करने का सबसे कारगर और उत्तम तरीका। तो कैसा लगा आपको बरसाती प्याज की खेती कैसे करें (Barsati Pyaj Ki Kheti Kaise Karen) लेख। अगर आपको बरसाती प्याज की खेती कैसे करें (Barsati Pyaj Ki Kheti Kaise Karen) लेख से संबधित कोई सवाल पूछने है तो आप हमें Email कर सकते हैं। हम आपकी हर प्रकार से सहायता करने की कोशिश करेंगे।
Nasik red pyaj ki bij chahey
आप अपनी नजदीक के कृषि अनुसंधान से प्राप्त कर सकते हैं।
5 अप्रैल को बिना नर्सरी लगाये सीधा बीज खेत में छिड़काव कर बोनी कर सकते है। जून माह के अधिकतम तापमान का क्या असर पड़ेगा।
इससे पौधे गर्म हवाओं की चपेट में आने पर मुरझा जाएंगे। या धीरे-धीरे सूरज की किरणों से खत्म हो जाएंगे।