COBE (The Cosmic Background Explorer)
COBE (The Cosmic Background Explorer)- इसे साल 1989 में Faint Infrared (एक प्रकार की Wave) और Microwave Radiation का अध्ययन करने के लिए लॉंच किया गया। यह तरंगे प्रारंभिक काल से ब्रह्मांड में विद्यमान है जिसे Cosmic Background Radiation कहते है।
वैज्ञानिकों को विश्वास था की जब बिग बैंग की घटना हुई उस समय इस Radiation की उत्पत्ति हुई या यूं कहे Cosmic Background Radiation यूनिवर्स में विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का एक रूप है जो बिग बैंग की घटना से यूनिवर्स में बनी थी। आइए जानते है COBE Telescope के बारे में-
आप यह भी पढ़ें-
Facts About International Space Station
COBE (The Cosmic Background Explorer)
नासा के वैज्ञानिकों ने Cosmic Background Radiation के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस टेलिस्कोप का निर्माण किया। जिसकी शुरुआत इस प्रकार से होती है, 1974 में नासा ने एक औपचारिक घोषणा की जिसमें Astronomical Missions के लिए एक छोटे और मध्यम आकार के Spacecraft Explorer के बारे में सुझाव मांगे।
नासा को 121 प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिसमें से तीन प्रस्ताव Cosmic Background Radiation के अध्ययन के बारे में थे। उस समय नासा ने इन विचारों का ज्यादा महत्व नहीं दिया। लेकिन 1976 में यह तीन प्रस्ताव रखने वाली टीम के एक-एक सदस्य की समिति बनाई और उसे इसी प्रकार के एक Satellite बनाने के लिए अपने विचार रखने को कहा। कुछ समय बाद समिति ने इस तरह के Satellites बनाने के लिए अपने विचार रखे।
एक साल बाद इस समिति ने एक Polar Orbiting Satellite यानी COBE के बारे में अपने विचार रखे और कहा की इसे Delta Rocket या Space Shuttle के द्वारा लॉंच किया जाएगा। नासा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, बशर्तें Data Analysis और Launcher को छोडकर लागत 30 मिलियन डॉलर से कम आए।
लेकिन उस समय IRAS Satellite पर काम चल रहा था, जिस कारण GSFC (Goddard Space Flight Center) ने 1981 तक इसका निर्माण शुरू नहीं किया। लागत बचाने के लिए Infrared Detectors और Liquid Helium Dewar का प्रयोग किया गया।
COBE को मूल रूप से Vandenberg Air Force Base से 1988 में एक स्पेस शटल मिशन STS-82-B पर लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन चैलेंजर विस्फोट ने इस योजना में देरी कर दी। लेकिन आखिरकार, एक पुनः डिज़ाइन किए गए COBE को 18 नवंबर 1989 एक डेल्टा रॉकेट से लॉंच कर पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी कक्षा में स्थापित किया गया।
COBE मुख्यतः तीन उपकरणों से बना था, जिनके नाम और काम इस प्रकार है- Diffuse Infrared Background Experiment (DIRBE) जिसका काम Cosmic Infrared Background Radiation की खोज करना, दूसरा Differential Microwave Radiometer (DMR) का काम Cosmic Radiation को sensitively Map करना और तीसरा Far Infrared Absolute Spectrophotometer (FIRAS) जो Cosmic Microwave Background Radiation के स्पेक्ट्रम की तुलना Precise Blackbody के साथ करना।
COBE ने ऊर्जा के लिए सूर्य के प्रकाश का Use किया, जिसे इकट्ठा करने के लिए COBE ने सौर पैनलों का इस्तेमाल किया और Satellite के ठंडे भागों को गर्म करने के लिए प्रकाश एक Funnel-Shaped Sunshade का उपयोग किया। इसके अलावा, तरल हाइड्रोजन ने दूरबीन को ठंडा रखने में मदद की।
COBE को अत्यधिक ठंडा रहना बहुत जरूरी था क्योंकि यह Infrared Light या Heat का अध्ययन कर रहा था। अगर COBE ठंडा नहीं रहता तो Infrared Signals को ऑब्जर्व करना बंद कर देता।
आइए जानते है COBE की उपलब्धियों के बारे में, COBE ने प्रारंभिक ब्रह्मांड की हमारी समझ में क्रांति ला दी। इसने ब्रह्मांड के सबसे पुराने प्रकाश- Cosmic Microwave Background को ठीक से मापा और मैप किया। Cosmic Microwave Background स्पेक्ट्रम 0.005% की सटीकता के साथ मापा गया था।
इस स्पेक्ट्रम के परिणामों ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सिद्धांत बिग बैंग सिद्धांत की पुष्टि की। इसके बहुत सटीक मापों ने बिग बैंग के बारे में कई महान सिद्धांतों को समझने और परखने में मदद की। जिससे कई सिद्धांत अपने आप गलत साबित हो गए।
मिशन ने नासा के WMAP मिशन और ESE के प्लैंक मिशन द्वारा Microwave Background के गहन अन्वेषण का रास्ता साफ करते हुए वैज्ञानिकों के लिए के लिए सटीक मापन के एक नए युग की शुरुआत की। वैज्ञानिकों ने Infrared और Microwave Radiation में यूनिवर्स का नक्शा बनाने के लिए COBE द्वारा एकत्रित जानकारी का उपयोग किया।
उन्होंने पाया कि Cosmic Background Radiation सभी जगह एक समान नहीं है। यह एक ऐसी खोज थी जिसने दिखाया कि कैसे प्रारम्भिक ब्रह्मांड में आकाशगंगाएं बनना शुरू हुईं।
COBE बहुत ताकतवर नहीं था, विशेष रूप से आज के अंतरिक्ष दूरबीनों की तुलना में। लेकिन इसने बिग बैंग के सिद्धांत की पुष्टि करने और वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने में बहुत मदद की। 1993 में COBE ने अपना मिशन पूरा किया। इस प्रकार यह कहा जा सकता है, COBE ही वो पहला Satellite था जिसने हमें यूनिवर्स के बारे में विस्तार से समझाने में मदद की।
The Cosmic Background Explorer से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य-
- COBE का वजन 2200 किलोग्राम है, इसे नासा द्वारा 18 नवंबर, 1989 को डेल्टा रॉकेट से लॉंच किया गया था।
- यह Exlplorer 66 के नाम से भी जाना जाता है।
- COBE ने प्रारंभिक ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ में क्रांति ला दी थी, इसने हमें बिग-बैंग के बारे में सबसे पहले और अच्छे से समझाया।
- इसने ब्रह्मांड के सबसे पुराने प्रकाश – कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड को सटीक रूप से मापा। कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड स्पेक्ट्रम को 0.005% की सटीकता के साथ मापा गया था। जिसके परिणामों ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बिग बैंग सिद्धांत की पुष्टि की।
- बहुत सटीक मापों ने बिग बैंग के बारे में कई महान सिद्धांतों को खत्म करने में मदद की।
- इस मिशन ने ब्रह्मांड विज्ञानियों को सटीक मापन के एक नए युग की शुरुआत की, नासा के WMAP मिशन और ESA के प्लैंक मिशन द्वारा माइक्रोवेव पृष्ठभूमि की गहन खोज का मार्ग साफ किया।
COBE की वैज्ञानिक टीम
1976 में नियुक्त COBE मिशन डेफिनिशन साइंस टीम में सैमुअल गुलकिस, माइकल जी. हॉसर, जॉन सी. माथर, जॉर्ज एफ. स्मूट, रेनर वीस और डेविड टी. विल्किंसन शामिल थे।
इसके अलावा हॉसर DRBI के लिए प्रधान अन्वेषक (Principal Investigator) थे, FIRAS के Principal Investigator माथेर, और DMR के लिए Principal Investigator स्मूट थे। माथेर नासा के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट थे और वाइस साइंस टीम के चेयरमैन थे।
साइंस वर्किंग ग्रुप में चार्ल्स एल बेनेट (डीएमआर के लिए Deputy Principal Investigator), नैन्सी डब्ल्यू बोगेस, एडवर्ड एस चेंग, एली ड्वेक, माइकल जेनसेन, थॉमस केल्सल (डीआईआरबीई के लिए Deputy Principal Investigator) आदि शामिल थे।
स्टीफन एस मेयर, एस हार्वे मोसले, टॉम मर्डॉक, रिचर्ड ए शैफर (एफआईआरएएस के लिए डिप्टी Principal Investigator), रॉबर्ट एफ. सिल्वरबर्ग, और एडवर्ड एल. राइट (डेटा टीम लीडर)। राइट डेटा में ‘सीएमबी अनिसोट्रॉपी’ को खोजने और इसे विज्ञान टीम के ध्यान में लाने वाले पहले व्यक्ति थे। नासा के प्रोजेक्ट मैनेजर रोजर मैटसन थे और डिप्टी डेनिस मैकार्थी थे।
2006 में, जॉन माथेर और COBE टीम ने ग्रुबर कॉस्मोलॉजी पुरस्कार प्राप्त किया और एफआईआरएएस व डीएमआर उपकरणों के परिणामों को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार जो जॉन सी. माथर और जॉर्ज एफ. स्मूट को दिया गया था।