कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था?

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)- जैसा की आप सब जानते हैं आज का युग कंप्यूटर का युग है। कंप्यूटर ने मानव जीवन को बहुत आसान बनाया है, जिस कारण आज इंसान बड़ी-बड़ी उपलब्धियों को छू रहा है। आज प्रत्येक काम कंप्यूटर की मदद से होता है, बिना इसके कोई भी काम करना बहुत मुश्किल है।

हमारे हाथ में मौजूद मोबाइल भी एक कंप्यूटर है। अब आप सोचकर देखिए कि मोबाइल आपके कितना काम आता है, क्या आप बिना मोबाइल के एक दिन भी रह सकते है? अगर आप किसी दूर बैठे व्यक्ति से बात करना चाहते है, तो सिर्फ एक मिनट में आप उससे संपर्क कर सकते हैं।

कंप्यूटर लगभग हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और हमारे दिन-प्रतिदिन के कार्यों को अधिक सरल बना रहे हैं। पहले के समय में कंप्यूटर का उपयोग केवल जटिल संख्यात्मक गणना करने के लिए किया जाता था। लेकिन आज के समय में यह काफी अड्वान्स हो चुके हैं और हर क्षेत्र में अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते हैं।

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कंप्यूटर की विभिन्न विशेषताओं और शक्तिशाली कार्यात्मकताओं के कारण कंप्यूटर का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। जैसे कि घरों, व्यवसायों, सरकारी कार्यालयों, अनुसंधान संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, चिकित्सा, मनोरंजन, आदि। कंप्यूटर ने उद्योगों और व्यवसायों को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। इस तरह से हम कह सकते हैं कि कंप्यूटर का हमारी दैनिक दिनचर्या पर बहुत ज्यादा प्रभाव है।

अब सबसे बड़ा सवाल आता है कि कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)? तो आइए जानते है इस सवाल का जवाब। आज के हमारे इस लेख में हमने आपको इसे अच्छे से समझाने की कोशिश कि है।

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था? (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)? इसके बारे में कहना बहुत कठिन है। दुनिया के बड़े से बड़े विश्वकोश और खुद Google के पास भी इस आसान से सवाल का जवाब नहीं है। लेकिन अगर हम गहराई में जाकर पता लगाते हैं, तो हमें कुछ उत्तर मिलते हैं। जो कुछ हद तक सही है और कुछ हद तक गलत।

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)? सवाल के उत्तर में हम कंप्यूटर के इतिहास की बारीकी से समीक्षा करते हैं। तब हमें एक और सवाल उलझा लेता है, कि आखिरकार कंप्यूटर क्या है? जिसका जवाब हमें शायद इतिहास में ही मिलेगा।

चार्ल्स बैबेज और मैकेनिकल कंप्यूटर

कंप्यूटर क्या है? ऐसा नहीं है कि कंप्यूटर एक मशीन है। चार्ल्स बैबेज से पहले लोग इंसान को ही कंप्यूटर मानते थे। कंप्यूटर नाम उन लोगों को दिया जाता था, जो गणितीय गणना करने में बहुत माहिर थे। यह ऐसे लोग थे जो अंकगणितीय गणनाएँ करने में ज्यादा से ज्यादा समय बिताते थे।

फिर अपनी गणनाओं के परिणामों को तालिकाओं में लिखते थे, जिन्हें बाद में किताबों में उतारा गया। बाद में यहीं किताबें अन्य लोगों के जीवन को आसान बना देती थी। इन किताबों का उपयोग विशेषज्ञ अन्य कामों को करने के लिए भी करते थे। जैसे तोपखानों को लक्षित करना, जनता से प्राप्त करों की गणना, मौसम की भविष्यवाणी और आकाश में तारों की गति का पता लगाना आदि।

17वीं शताब्दी के अंत में नेपोलियन ने Gaspard de Prony (22 July 1755 – 29 July 1839) को सबसे सटीक लघुगणक (Logarithmic) और त्रिकोणमितीय टेबल्स बनाने के कारण सबसे तेज कंप्यूटर की उपाधि दी। Prony द्वारा बनाए गए इन टेबल्स का उपयोग खगोलीय गणनाओं किया जाने लगा।

इस तरह से Prony के काम ने फ्रांसीसी सरकार के काम को बहुत ही आसान बना दिया था। अब फ्रांसीसी सरकार कम योग्य मानव कंप्यूटर को भी Prony के द्वारा की गई गणनाओं के माध्यम से बड़े-बड़े काम करवा लेती थी। इस तरह से कंप्यूटर इतिहास में यह सबसे बड़ा बदलाव था।

लेकिन इसके बाद काम में तेजी लाने और गलतियों को सुधारने के लिए अंग्रेजी पोलीमैथ चार्ल्स बैबेज (26 दिसंबर 1791-18 अक्टूबर 1871) ने मानव कंप्यूटर की बजाए मशीनी कंप्यूटर के उपयोग के बारे में सोचा।

कई लोगों द्वारा बैबेज को कम्प्यूटिंग का जनक माना जाता है। हालांकि कई लोग इसे सही नहीं मानते हैं, क्योंकि चार्ल्स पहले एक ऐसा कैल्कुलेटर बनाना चाहते थे। जिसकी सहायता से जटिल गणितीय गणनाएँ की जा सके। हालांकि इसमें सिर्फ जोड़-घटाव ही होते थे, गुणा-भाग में इसका कोई रोल नहीं था।

इन्होंने यह कैल्कुलेटर Finite Difference सिद्धान्त पर बनाया था, जो इन्होंने ही 1822 में दिया था। इसके बाद जब Logarithmic और Trigonometric गणनाएँ की गई तो इसमें यह कैल्कुलेटर सक्षम नहीं था। चार्ल्स बैबेज के लिए यह एक बड़ी असफलता थी, क्योंकि इस समय तक वो ब्रिटिश सरकार से मिलने वाले फंड को खत्म कर चुके थे।

चार्ल्स के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं था। लेकिन कहते हैं ना कि हर सफलता से पहले एक असफलता छुपी होती है, और वो ही हमें सफल करती है। चार्ल्स के साथ भी ऐसा हुआ, उन्होंने हिम्मत न हारते हुए फिर से अपना काम शुरू कर दिया।

महान गणितज्ञ, दार्शनिक, इंजीनियर और आविष्कारक चार्ल्स बैबेज ने अपनी पूरी ऊर्जा एक ऐसे विशालेषणात्मक इंजन को विकसित करने में लगा दी जो गुणा और भाग हल करने के साथ-साथ जटिल गणना करने में सहायक था।

उन्होंने ऐसे इंजन का डिजाइन पूरी तरह तैयार कर लिया था, जिसको उन्होंने 1837 में बनाना शुरू किया। हालांकि वो इसे पूरा बनाने में कामयाब नहीं हुए थे। किसी कारणवश उनको यह प्रोजेक्ट बीच में हो छोड़ना पड़ा। परंतु इसी डिजाइन ने भविष्य के कम्प्युटर की नींव रखी थी।

Computer Ka Avishkar Kisne Kiya इस सवाल का जवाब हमें यहीं पर मिलता है। क्योंकि बैबेज के विश्लेषणात्मक इंजन के ऐनोटेशन और स्केच के बारे में लिखे गए हजारों पृष्ठ आज के आधुनिक कम्प्युटर के निर्माण के लिए उपयोगी थे। इस तरह से चार्ल्स बैबेज को कम्प्युटर का आविष्कारक माना जाता है। लेकिन यह भी अभी तक एक दुविधा में दिया हुआ जवाब है।

बैबेज के इंजन में एक तार्किक इकाई (एक प्रोसेसर या आज का सीपीयू), निर्देशों को समझने की एक सरंचना (एक प्रोग्रामिंग भाषा) और पंच कार्डस पर डेटा स्टोरेज (मेमोरी का प्रारम्भ) आदि शामिल था। इस कारण उनके इस इंजन को आधुनिक कंप्यूटर का जनक माना जाता है।

इसके अलावा बैबेज ने एक आउटपुट डिवाइस का उपयोग करके कागज पर गणना के परिणामों को रिकॉर्ड करने के बारे में भी सोचा, जो आज के प्रिंटर का अग्रदूत था। इस तरह से चार्ल्स बैबेज को आधुनिक कंप्यूटर का जनक माना जाता है।

थॉमसन ब्रदर्स और एनालॉग कंप्यूटर

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)– 1872 में चार्ल्स बैबेज की मृत्यु के एक साल बाद, महान भौतिक विज्ञानी विलियम थॉमसन (लॉर्ड केल्विन) ने एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया जो जटिल गणना करने और एक निश्चित स्थान पर समुद्री ज्वार की भविष्यवाणी करने में सक्षम थी।

यह पहला एनालॉग कंप्यूटर माना जाता है, जो 1876 में उनके भाई जेम्स थॉमसन द्वारा निर्मित Differential Analyser के साथ लोगों के सामने आया था। इस कंप्यूटर ने काफी हद तक लोगों की गणितीय समस्याओं को हल कर दिया था। बाद में इन्हें इनके इस आविष्कार के लिए काफी सम्मान मिला।

इसके बाद इन दोनों भाइयों के द्वारा बनाया गया उपकरण एक अधिक उन्नत और पूर्ण मशीन थी। इस मशीन में Differential Equations को integration की मदद से हल किया जा सकता था। जिसके लिए इस मशीन में Wheel और Disc Mechanism का प्रयोग किया गया था।

हालांकि इसके बाद भी एक परिपूर्ण एनालॉग कंप्यूटर के विचार को सिद्ध करने में कई दशक लग गए। 1928-1931 के मध्य एचएल हेजन और वन्नेवर बुश ने MIT (Massachusetts Institute of Technology- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में ऐसे ही कंप्यूटर का निर्माण किया था।

उन्होंने एक Differential Analyser का निर्माण किया जो वास्तव में व्यावहारिक था क्योंकि इसका उपयोग विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता था। इस तरह उस मानदंड का पालन करते हुए, इसे पहला कंप्यूटर माना जा सकता था। जिसमें प्रत्येक प्रकार की गणितीय समस्याओं का हल आसानी से किया जा सकता था।

ट्यूरिंग और यूनिवर्सल कंप्यूटिंग मशीन

Computer Ka Avishkar Kisne Kiya– यहाँ तक बने एनालॉग कंप्यूटर या एनालॉग मशीनें मानव कंप्यूटर से काफी उन्नत थी। यह मशीनें बहुत तेजी से जटिल गणनाओं को आसानी से हल कर रही थी। लेकिन इनमें एक बहुत बड़ी खामी थी, क्योंकि इनको एक प्रकार की गणना करने के लिए डिजाइन किया गया था। अगर दूसरे प्रकार की गणना करनी होती थी, तो उनके गियर या पूरे सर्किट को बदलना पड़ता था।

इसे आप ऐसे समझ सकते हैं, जैसे मानों आप अपने मोबाइल में ऑडीयो चला रहे हो। लेकिन अगर बीच में आपको वीडियो देखना हो तो आपको पूरे मोबाइल के सर्किट को बदलना होगा। इस तरह से इन एनालॉग मशीनों में बहुत बड़ी खामियां थी।

साल 1936 तक यह समस्या बनी रही, जब तक कि एक युवा अग्रेज़ छात्र एलन ट्यूरिंग ने इस समस्या को हल न कर दिया हो। ट्यूरिंग ने एक ऐसे कंप्यूटर के बारे में सोचा जो किसी भी समस्या को हल कर सकता था। यह कंप्यूटर किसी भी समस्या को मैथमेटिकल शब्दों में Translate करके उसे हल कर सकता था।

इसके अलावा इस कंप्यूटर में संख्याएँ, फोटोज, लेटर्स और ध्वनि को Reduce कर समस्याओं को हल करने की क्षमता थी। इस तरह से एक डिजिटल कंप्यूटर का जन्म हुआ, लेकिन अभी भी यह एक सिर्फ काल्पनिक मशीन थी। इसे अभी बनाना बाकी था।

ट्यूरिंग का यह डिजिटल कंप्यूटर चार्ल्स बैबेज की विश्लेषणात्मक मशीन की तरह ही था। यानी अगर चार्ल्स की वो मशीन कभी पूरी बनी होती तो शायद एक सदी पहले ही डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार हो जाता।

दूसरे विश्वयुद्ध के अंत के समय ट्यूरिंग ने ऐसा ही एक कंप्यूटर बनाया। जो आज के आधुनिक कंप्यूटर जैसा था। यह एक स्वचालित कंप्यूटिंग इंजन था, जो डिजिटल होने के अलावा प्रोग्राम को समझने की क्षमता रखता था। दूसरे शब्दों में कहें तो इसमें किसी दूसरे काम को करने के लिए सर्किट बदलने की जरूरत नहीं थी। सिर्फ प्रोग्राम को बदलकर अलग-अलग काम किए जा सकते थे।

ZUSE और डिजिटल कंप्यूटर

यद्यपि ट्यूरिंग उस कंप्यूटर का सिद्धान्त दिया था। वो उस कंप्यूटर को व्यवहार में लाने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे। यह सम्मान एक ऐसे इंजीनियर को जाता है, जिसे नाजी शासन द्वारा फंड दिया जा रहा था। नाजी शासन का इसलिए फंड दे रहा था, ताकि वे वैश्विक युद्ध में आधुनिक वस्तुओं के उपयोग से जीत प्राप्त कर ले।

उस इंजीनियर का नाम था Konrad Zuse, इन्होंने 12 मई, 1941 को बर्लिन में Z3 नामक कंप्यूटर का निर्माण किया। जो पहला पूरी तरह कार्यात्मक (प्रोग्राम करने योग्य और स्वचालित) डिजिटल कंप्यूटर था। Zuse ने नाजी शासन के कहने पर लोगों से छुपकर इसे अपने घर की कार्यशाला में बनाया था।

इस कंप्यूटर की सबसे अनोखी बात यह थी कि इसे बिना इलेक्ट्रोनिक घटकों के बनाया गया था। लेकिन इसमें टेलीफ़ोन रील का उपयोग किया गया था। इस कारण पहला डिजिटल कंप्यूटर बिना इलेक्ट्रोनिक समान के इलेक्ट्रोमैकेनिकल था।

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)?– इलेक्ट्रोनिक घटकों के उपयोग न करने की सबसे बड़ी वजह थी कि जर्मन सरकार ने Zuse को फंड देना बंद कर दिया था। क्योंकि इसे युद्ध के समय में “रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण” नहीं माना गया था।

परंतु इसके विपरीत जर्मनी के दुश्मन देशों यानी मित्र राष्ट्रों ने हजारों वैक्यूम ट्यूबों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बनाने को महत्व दिया। मित्र राष्ट्रों का मानना था कि अगर युद्ध में उन्हें विजय हासिल करनी है तो उनको पूरी तरह से डिजिटल होना पड़ेगा।

पहला एबीसी (एटानासॉफ़-बेरी कंप्यूटर) जिसे 1942 में जॉन विंसेंट एटानासॉफ़ और क्लिफोर्ड ई. बेरी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में बनाया गया था। जो हालांकि न तो प्रोग्राम करने योग्य था और न ही “ट्यूरिंग-पूर्ण”।

इसी बीच ग्रेट ब्रिटेन में एलन ट्यूरिंग के दो सहयोगियों टॉमी फ्लावर्स और मैक्स न्यूमैन (जिन्होंने बैलेचली पार्क में नाज़ी कोड को समझने का काम किया था) ने पहला इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रोग्राम करने योग्य कंप्यूटर कोलोसस बनाया। लेकिन एबीसी की तरह कोलोसस में भी लास्ट का परिणाम न दिखाने का अभाव था। यानी दूसरे शब्दों में कहें तो यह “ट्यूरिंग-पूर्ण” नहीं था।

पहला कंप्यूटर जो ट्यूरिंग-पूर्ण था और जिसमें हमारे वर्तमान कंप्यूटरों की चार बुनियादी विशेषताएं थीं, वह था ENIAC (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर)। जिसे गुप्त रूप से अमेरिकी सेना द्वारा विकसित किया गया था।

इसे 10 दिसंबर, 1945 को University of Pennsylvania में रखा गया था। ताकि इसकी मदद से हाइड्रोजन बम की व्यवहार्यता का अध्ययन किया जा सके। इस कंप्यूटर में अलग प्रकार की गणनाएँ करने के लिए इसके प्रोग्राम को बदलना पड़ता था।

जॉन मौचली और जे. प्रेस्पर एकर्ट द्वारा डिजाइन किए गए ENIAC का वजन 30 टन था। जो 150 किलोवाट बिजली की खपत करता था और इसमें लगभग 20,000 वैक्यूम ट्यूब थे। इस तरह से यह कंप्यूटर बहुत बड़ा और महंगा था।

ENAIC की इन्हीं विशेषताओं के कारण यह अन्य कम्प्यूटरों से काफी आगे निकाल गया था। इसने अपने प्रोग्रामों को एक इलेक्ट्रोनिक मेमोरी में संग्रहीत किया। इसमें वैक्यूम ट्यूबों को माइक्रोचिप्स द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। इस तरह से इसे इतिहास का पहला सच्चा कंप्यूटर माना जाएगा।

इसके बाद वर्ष 1961 में Konrad ZUSE ने दोबारा से Z3 कंप्यूटर बनाने का फैसला किया, जिसे 1943 में बमबारी में नष्ट कर दिया था। 1998 में मैक्सिकन कंप्यूटर वैज्ञानिक राउल रोजस ने Z3 का गहराई से अध्ययन करना का प्रयास किया। जिसमें उन्होंने पता लगाया कि यह पूर्ण ट्यूरिंग हो सकता है।

तो चार्ल्स बैबेज, कोनराड ज़ूस या एलन ट्यूरिंग कंप्यूटर के आविष्कारक हैं? क्या Z3, Colossus या ENIAC पहला आधुनिक कंप्यूटर था? निर्भर करता है। यह प्रश्न आज भी उतना ही खुला है।

इस तरह से कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)? सवाल का जवाब हमें आसानी से नहीं मिलने वाला है। हालांकि आजकल लोग कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था (Computer Ka Avishkar Kisne Kiya)? का जवाब चार्ल्स बैबेज के रूप में देते हैं।

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