अमीर होना हर किसी का सपना है। जब से इंसान ने धन का उपयोग करना सीखा है, तब से ही उसकी लालसा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज के समय में कई ऐसे इंसान है, जो अमीर होने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। वैसे अमीरी का अपना एक अलग ही मजा होता है।
अमीर व्यक्ति अपने और अपने पूरे परिवार के वो सभी सपने पूरे कर सकते हैं, जिसके बारे में वह सोचता है। वैसे इस दुनिया में अमीर बनना बहुत कठिन है, लेकिन अगर किसी के अंदर पागलपन आ जाए तो यह बहुत आसान है। अमीर बनने के लिए आपको दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना पड़ता है।
अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि जो इंसान आज दुनिया का सबसे अमीर आदमी है, उसका जीवन कैसे होगा? आप उस इंसान के बारे में जरूर जानना चाहोगे। तो आज के इस आर्टिक्ल में हम दुनिया का सबसे अमीर आदमी कौन है (Duniya ka sabse amir aadami kaun hai)? सवाल का जवाब देंगे।
वर्तमान में रोजाना सबसे अमीर आदमी का स्थान ऊंचा-नीचा होता रहता है। इसलिए यह तय कर पाना थोड़ा मुश्किल है कि आप जिस समय यह आर्टिक्ल पढ़ रहे हैं, उस समय दुनिया का सबसे अमीर आदमी कौन है (Duniya ka sabse amir aadami kaun hai)?
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इसके साथ ही हम इस आर्टिक्ल में भारतीय इतिहास का सबसे अमीर आदमी, भारत का सबसे अमीर आदमी, इतिहास का सबसे अमीर आदमी और दुनिया का सबसे अमीर आदमी कौन है (Duniya ka sabse amir aadami kaun hai)? इसके बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।
इतिहास का सबसे अमीर आदमी
इतिहास में दुनिया का सबसे अमीर आदमी कौन है (duniya ka sabse amir aadami kaun hai)? इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि वक्त के साथ इतिहास के पन्ने इस धरती से गायब हो गए है। बचे हैं तो सिर्फ उनके टुकड़े, जिनको जोड़ने पर आधी-अधूरी जानकारी प्राप्त होती है। लेकिन फिर भी हमने कुछ हद तक इतिहास के सबसे अमीर आदमी के बार में पता लगाया है।
इतिहास के सबसे अमीर आदमी की उपाधि ‘मनसा मूसा’ को दी जाती है। जो 14वीं शताब्दी में पश्चिमी अफ्रीका पर शासन करता था। मूसा अमीर होने के साथ-साथ एक उदारी और दानी व्यक्ति भी था। इतिहास खगोलने पर पता चलता है कि इसके इसी उदारी रवैये ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया था।
2012 में अमेरिकी वेबसाइट सेलेब्रिटी नेट वर्थ ने उनकी संपत्ति 400 बिलियन डॉलर (2,99,97,40,00,00,000 रुपए) होने का अनुमान लगाया था। लेकिन आर्थिक इतिहासकार इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि मनसा मूसा की संपत्ति को एक संख्या तक सीमित करना गलत है। मनसा मूसा की अमीरी किसी के द्वारा डिस्क्राइब नहीं की जा सकती।
The Golden King
मनसा मूसा का जन्म 1280 में एक शाही खानदान में हुआ, जो उस समय वहाँ राज करते थे। उनका एक भाई आबु-बक्र था, जो उस समय वहाँ का राजा था। लेकिन आबु-बक्र ने सन् 1312 में अटलांटिक महासागर को पार करने का अभियान शुरू किया। वो ये जानना चाहते थे कि आखिर में अटलांटिक महासागर कहाँ खत्म होता है।
इसके बाद मूसा को यह शासन विरासत में मिला, जिसका उन्होंने भरपूर फायदा उठाया। मूसा ने टिम्बकटू समेत 24 बड़े शहरों पर कब्जा किया। इस तरह से मूसा के आने के बाद माली साम्राज्य फल-फूलने लगा।
मनसा का यह राज्य वर्तमान के अटलांटिक महासागर से लेकर नाइजर तक लगभग 2,000 मील तक फैला हुआ था। जो अब सेनेगल, मॉरिटानिया, माली, बुर्किना फासो, नाइजर, द गाम्बिया, गिनी-बिसाऊ, गिनी और आइवरी कोस्ट के कुछ हिस्सों के रूप में हैं।
उस समय यह भू-भाग सोने और नमक का बड़ा केंद्र था, मूसा ने इसी नमक और सोने का व्यापार करना शुरू किया। एक अनुमान के मुताबिक उस समय मूसा के पास जो सोना था, वो पूरी दुनिया के आधे सोने के बराबर था। इसलिए मूसा को ‘The Golden King’ के नाम से भी जाना जाता है।
मक्का की यात्रा
मनसा मूसा की इस यात्रा से पहले माली साम्राज्य की समृद्धता का दुनिया को ज्ञान नहीं था। मनसा मूसा एक धर्मनिष्ठ मुस्लिम व्यक्ति था। इसलिए इसने सहारा रेगिस्तान, मिस्र से गुजरते हुए तीर्थ रास्ते पर मक्का जाने का फैसला किया। इसके बाद अपने साथ 60,000 लोगों को साथ लेकर मनसा मूसा हज की यात्रा पर निकल पड़ा।
इन लोगों में शाही दरबार के अधिकारी, सैनिक, मनोरंजन करने वाले, व्यापारी, ऊंट चालक और 12000 दास थे। इसके अलावा इसमें भेड़-बकरियों की लंबी कतारें और ऊंट शामिल थे। यह एक प्रकार का चलता फिरता शहर था, जो सहारा रेगिस्तान से होकर निकला।
यह एक ऐसा शहर था जिसके गुलाम भी सोने के आभूषणों से सजे हुए थे। इस शहर में लगभग 100 ऊँट थे, जिनमें से प्रत्येक पर एक क्विंटल से भी ज्यादा सोना लदा था। वास्तव में यह दृश्य देखने लायक था। जैसे ही यह मिस्र की राजधानी Cairo पहुंचे, तो वहाँ पर इनकी संपति को देखकर हर कोई अचंभित रह गया।
Cairo में सोना बाँटना
मनसा मूसा जब Cairo पहुंचा तो उसे वहाँ की गरीबी देखकर बहुत दुःख हुआ। इसके बाद उसने वहाँ भारी मात्रा में सोना बांटा। जिसकी छाप अगले कई वर्षों तक मिस्र के लोगों के दिल में छप गई। उसके द्वारा दान किए गए सोने की मात्रा इतनी थी कि अगले 10 वर्षों तक मिस्र निवासियों में सोने की मांग न के बराबर रह गई थी।
इतनी बड़ी घटना होने के बाद वहाँ की अर्थव्यवस्था अचानक से चरमरा गई। एक रिपोर्ट के अनुसार मनसा की इस यात्रा के कारण मध्य-पूर्व के अरब देशों को तकरीबन 1.5 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
इसके बाद मनसा अपने घर वापसी के दौरान फिर से मिस्र से गुजरा। फिर से मूसा ने वही काम जारी रखा और गरीबों में सोना बांटा। कई लोगों का मानना था कि इसने लगभग अपना पूरा सोना यहीं खत्म कर दिया था।
दूसरी जगह पर इतना सोना बांटने के कारण माली के निवासी मूसा से काफी खफा नजर आए। उनका मानना था कि उन्होंने स्थानीय संसाधनों को बर्बाद कर दिया था। इस तरह से मनसा मूसा ज्ञात इतिहास में दुनिया का सबसे अमीर आदमी है।
भारतीय इतिहास का सबसे अमीर आदमी
मनसा मूसा ज्ञात इतिहास में दुनिया का सबसे अमीर आदमी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतिहास में भारत का सबसे अमीर आदमी कौन है? तो इनका नाम है ‘मीर ओस्मान अली खाँ बहादुर’ जो हैदराबाद के आखिरी निज़ाम (शासक) थे। इनका जन्म उस समय की सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद में 6 अप्रैल, 1886 को हुआ।
ओस्मान अली 29 अगस्त, 1911 को 25 वर्ष की उम्र में निज़ाम की गद्दी पर बैठे और लगभग 37 वर्षों तक शासन किया। इसके बाद 1948 में जब हैदराबाद रियासत का भारत में विलय हुआ तो उनका शासन खत्म हो गया। साल 1937 में Time Magazine ने उन्हें दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति घोषित किया था।
हैदराबाद के शासकों के लिए उस समय आय का प्रमुखा स्त्रोत गोलकुंडा की प्रसिद्ध खदानें थी, जिनसे बड़ी मात्रा और गुणवता के हीरे निकलते थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक 18वीं शताब्दी में हैदराबाद के निज़ाम हीरों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता थे।
मीर उस्मान अली खान बहादुर 1911 में अपने पिता की मृत्यु के बाद हैदराबाद के निज़ाम बने। हैदराबाद रियासत स्वतंत्रता पूर्व भारत की सभी रियासतों में सबसे बड़ी थी। 86,000 वर्ग मील (223,000 किमी 2) के क्षेत्र में फैली यह रियासत मोटे तौर पर वर्तमान यूनाइटेड किंगडम के क्षेत्रफल जितनी थी।
निज़ाम भारत में सर्वोच्च श्रेणी के शासकों को कहा जाता था। यह 21 तोपों की सलामी के हकदार थे, जो केवल पाँच प्रकार के राजकुमारों को दी जाती थी। इन्हें उस समय “निज़ाम” की अनूठी उपाधि के साथ-साथ “His Exalted Highness” और “Faithful Ally of the British Crown” भी कहा जाता था।
उस्मान अली इतने अमीर थे कि उन्हें 22 फरवरी 1937 को टाइम पत्रिका के कवर पर चित्रित किया गया, जिसमें उन्हें दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में वर्णित किया गया था। उस्मान अली खान की संपत्ति ₹660 करोड़ ($93 मिलियन) की थी, जबकि उनके गहनों का पूरा खजाना $ 150 मिलियन और $ 500 मिलियन के बीच में था। जिनकी आज के समय के हिसाब से कीमत बहुत ज्यादा है।
एक पेपरवेट के रूप में वे जैकब डायमंड का इस्तेमाल करते थे, जो एक 185 कैरेट का कीमती हीरा था। निज़ाम के रूप में अपने दिनों के दौरान, उन्हें दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था। 1940 के दशक की शुरुआत में उनकी संपति का अनुमान 2 बिलियन डॉलर लगाया गया था। जो आज के समय में 236 बिलियन डॉलर के बराबर है।
1940 के दशक में अमेरिका की जीडीपी 200 अरब डॉलर थी। उस समय एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 3 रुपए, 30 पैसे थी। निज़ाम की पूरी संपत्ति जिसमें उनकी सारी जमीन और अन्य संपत्तियां 660 करोड़ रुपये की थी। जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था का लगभग 1% था।
इस तरह से आप अनुमान लगा सकते हैं कि भारत के सबसे अमीर आदमी उस समय कितने अमीर थे। वो अकेले ही पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था के 100वें हिस्से के बराबर थे। लेकिन वक्त के साथ यह सब खत्म हो गया। लेकिन कहीं न कहीं हैदराबाद आज भी अपनी कहीं न कहीं झलक जरूर दिखाता है।