पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई?
इस धरती का सबसे बुद्धिमान जीव मनुष्य आज अपनी उत्पत्ति को लेकर उलझा हुआ है। इन्सानों की सोचने और करने की दृढ़ इच्छा ने कुछ हद तक इस उलझन को सुलझाने में सहायता की है। वर्षों की वैज्ञानिक खोज और कड़ी मेहनत ने आज मनुष्य की उत्पत्ति को सरल रूप में प्रदर्शित किया है। तो जानते हैं पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई?
मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई?
मनुष्य की उत्पत्ति के बारे में दो सिद्धांत मुख्य रूप से काम करते है। जो धार्मिक और वैज्ञानिक सिद्धांत के रूप में जाने जाते हैं। ये दोनों सिद्धांत कहीं न कहीं हमारे अनेक सवालों के जवाब देते हैं। आज का आधुनिक युग, वैज्ञानिक युग होने के कारण ज्यादार लोग वैज्ञानिक सिद्धांत को महत्व देते है। तो आइए पता करते हैं कि यह तीनों सिद्धांत पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई, सवाल का जवाब अच्छे से देते हैं।
धार्मिक सिद्धांत
धर्म और विज्ञान की कभी एक सोच नहीं हो सकती। दुनिया में जीतने लोग विज्ञान को मानते हैं, उतने ही धर्म को। इसलिए पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति के बारे में धार्मिक महत्वता भी अपना एक स्थान रखती है। अलग-अलग धर्मों में इसको लेकर अलग-अलग मान्यता हैं। जिन्हें हम ध्यान से समझने की कोशिश करते हैं।
हिन्दू धर्म
हिन्दू धर्म में मनुष्य को ब्रह्मा कि संतान बताई गई है। पौराणिक ग्रन्थों में कहा गया है कि ब्रह्मा ने ही इस संसार में मनुष्य की उत्पत्ति की है। हम सभी ब्रह्मा की ही संतान है। हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य का शरीर पाँच तत्वों वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना है। हालांकि आज के वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं, कि मनुष्य का शरीर इन पाँच तत्वों से मिलकर बना है।
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एक पौराणिक किताब “दिव्य जीवन” में मानव की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके अनुसार सर्वप्रथम ब्रह्म से आत्मा और आत्मा से इस संसार की उत्पत्ति हुई। धरती के शुरुआती काल में चारों ओर पानी ही पानी था। यह जल आत्मा का ही एक स्वरूप था और इसी जल में जीवन की उत्पत्ति हुई।
इसके अलावा ब्रह्म से आत्मा के अलावा ब्रह्मा की भी उत्पत्ति हुई। फिर ब्रह्मा ने अपने आप को 2 भागों में विभक्त कर लिया। जिसमें से एक भाग पुरुष और दूसरा भाग स्त्री बना। पुरुष का नाम स्वायंभुव मनु और स्त्री का नाम शतरूपा हुआ। कहते हैं कि मनु से ही मानव शब्द की उत्पत्ति हुई। हम सभी मनु और शतरूपा की संताने हैं।
ईसाई धर्म
ईसाई धर्म के धर्म ग्रंथ बाइबल में पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति को विस्तार से समझाया गया है। बाइबल के प्रथम ग्रंथ का नाम भी उत्पत्ति रखा गया है, ताकि इसमें मनुष्य के जन्म के बारे में अच्छे से समझा पाएँ। बाइबल के अनुसार इस संसार में सिर्फ एक ईश्वर है जिसने इस सृष्टि को बनाया है। उसने ही हम इन्सानों को जन्म दिया और हमारे वजूद को आगे बढ़ाया।
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बाइबल के अनुसार सर्वप्रथम ईश्वर ने धरती पर सुंदर-सुंदर बगीचों, पेड़-पौधों, जानवरों आदि की रचना की। कुछ समय बाद ईश्वर को अनुभव हुआ कि इन सब का ख्याल रखने के लिए एक बुद्धिमान जीव का होना जरूरी है। ईश्वर ने बहुत सोच-समझकर एक ऐसी आकृति का जीव बनाया जो बिल्कुल इंसान जैसा था। उसे एडम नाम दिया गया।
अब एडम उन जीवों, बगीचों का अच्छे से ख्याल रखने लग गया। लेकिन फिर उसे एक साथी की कमी महसूस हुई जो बिल्कुल उसके जैसा हो। उसने जब ईश्वर से अपनी व्यथा सुनाई तो ईश्वर ने एक स्त्री का निर्माण किया। जिसका नाम ‘ईव’ हुआ। फिर इन्हीं दोनों ने मिलकर मनुष्य जाती को आगे बढ़ाया और यह दुनिया के पहले मानव कहलाए।
वैज्ञानिक सिद्धांत
हम मनुष्य “होमो” वंश के जीव है। इसलिए विज्ञान हम मनुष्यों को होमो सेपियंस कहती है। वैज्ञानिक सिद्धांत कुछ हद तक आज के मनुष्य की रूपरेखा समझाने में कारगर सिद्ध होता है। विज्ञान के अनुसार मनुष्य की उत्पत्ति अफ्रीका महाद्वीप में रहने वाले ग्रेट एप्स से हुई थी।
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जिस परिवार से मनुष्य संबद्ध रखता है, उसे Hominidae कहते हैं। यह मिओसिन काल (53-23 लाख साल पहले) में पाए जाते थे। फिर इसी परिवार में एक प्रजाति विकसित हुई। जिसे Dryopethicus कहते हैं, यही वो जीव था जो प्रारंभिक मनुष्य था। यह दिखने में आजे के समय में पाए जाने वाले वनमानुष जैसे थे।
ड्रायोपेथीकस
ड्रायोपेथीकस मनुष्य के सबसे पहले ज्ञात पूर्वज हैं। इसी समय के दौरान पृथ्वी पर Ramapethicus नामक प्रजाति अस्तित्व में आई। जो ड्रायोपेथीकस की तुलना में काफी समझदार और इंसानों जैसे दिखाई देते थे। यह यूरोप, एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते थे।
ऑस्ट्रेलोपिथेकस (Australopithecus)
ड्रायोपेथीकस और रामापेथिकस के बाद ऑस्ट्रेलोपिथेकस अस्तित्व में आया।
आस्ट्रेलोपिथेकस रैमिडस: यह 1.2 मीटर लंबा था। इसके जीवाश्मों से पता चलता है कि यह सीधा चलने में सक्षम था। इनके दाँत और आगे के हाथ आज के मनुष्यों जैसे थे।
आस्ट्रेलोपिथेकस एफरेन्सिस: कुछ समय पहले पाया गया ‘लुसी’ नामक प्रसिद्ध जीवाश्म इसी प्रजाति का था। कहा जाता है कि ये अफ्रीका महाद्वीप में बसे हुए थे। जो आस्ट्रेलोपिथेकस रैमिडस से छोटे थे एवं इनकी एक छोटी खोपड़ी थी जिसमें सपाट नाक और कोई ठुड्डी नहीं थी।
ये दो पैरों पर चलने में सक्षम थे, लेकिन पैर बीच में से मुड़े हुए थे। जिससे यह वानरों की तरह झुककर चलते थे। इनके झुके हुए पैर, उंगलियां और अंगूठे इन्हें पेड़ों पर चढ़ने और वहां रहने में सक्षम बनाते थे। आस्ट्रेलोपिथेकस एफरेन्सिस के बड़े दांत और बड़े जबड़े थे।
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आस्ट्रेलोपिथेकस अफ्रीकनस- ये अफ्रीका महाद्वीप में निवास करते थे। इनकी होमो इरेक्टस की तुलना में छोटे दिमाग के साथ एक छोटी खोपड़ी थी। लेकिन अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में इस खोपड़ी का आकार बड़ा था। साथ ही, उनके दांत आज के मनुष्यों की तुलना में बड़े थे। यह शाकाहारी थे, एवं इनके बड़े जबड़े थे।
आस्ट्रेलोपिथेकस रोबस्टस- यह अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में लंबे थे। लेकिन फिर भी यह दिखने में वानर जैसा था। इनका वजन भी अपने पूर्वजों से अधिक था। आस्ट्रेलोपिथेकस वंश के बाद होमो वंश आया। जिसमें सबसे पहला होमो हैबिलिस था।
होमो वंश
होमो हैबिलिस- इनका चेहरा अपने पूर्वजों के समान था। खोपड़ी और मस्तिष्क के आकार से संकेत मिलता है कि यह बोलने में सक्षम थे। इंसानों द्वारा सबसे पहले बनाए गए औज़ार इसी युग के थे। होमो हैबिलिस को ‘Handy Man’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि वह उपकरण बनाने और उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे। यह लगभग 5 फीट लंबा और सीधा था।
होमो इरेक्टस- होमो हैबिलिस आने के बाद होमो इरेक्टस अस्तित्व में आया जो जिसका शरीर बिलकुल सीधा था। इसका चेहरा छोटा लेकिन लंबा था, साथ ही इसका एक बड़ा मस्तिष्क था। होमो इरेक्टस अच्छे औजार बनाना और उन्हें उपयोग करना जानता था। इसने सबसे पहले आग का आविष्कार किया और उस पर नियंत्रण पाना सीखा।
आग की खोज मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोजों में से एक हैं। होमो इरेक्टस मांसाहारी था। यह गुफाओं में परिवार बनाकर रहते थे। होमो इरेक्टस एशिया, अफ्रीका और यूरोप महाद्वीप में निवास करते थे।
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होमो सेपियन्स- होमो इरेक्टस के आने के बाद, होमो सेपियन्स अस्तित्व में आए। इनके दो प्रकार है:-
1) होमो सेपियन्स निएंडरथेलेंसिस
इनके मस्तिष्क का आकार आधुनिक मनुष्य से बड़ा और यह आकार में विशाल थे। साथ ही इनका सिर और जबड़ा बड़ा था। ये बहुत शक्तिशाली और मांसाहारी जीव थे। इस समय में पाए गए औजारों से पता चलता है कि ये खतरनाक शिकारी थे। इस प्रजाति के जीव परिवार बनाकर गुफाओं में रहते थे।
2) होमो सेपियन्स सेपियन्स
आधुनिक मनुष्य इसी प्रजाति के जीवों को कहा जाता है। ये होमो सेपियन्स निएंडरथेलेंसिस की तुलना में आकार छोटा था। इनका मस्तिष्क भी अपने पूर्वजों की तुलना में छोटा था। समय के साथ इनके जबड़े, खोपड़ी और ठुड्डी की गोलाई में भी कमी आई।
क्रो-मैग्नन होमो सेपियन्स में सबसे पहले थे। ये यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में फैले हुई थे। शोध से पता चलता है कि ये सर्वाहारी थे, इनके मजबूत हाथ थे। धीरे इन्होने सोचने की शक्ति विकसित की, कला का निर्माण किया, अधिक परिष्कृत उपकरणों का निर्माण किया। धीरे-धीरे इनमें भावनाएँ विकसित होने लगी।
इस तरह पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति हुई। ऐसी बात नहीं है की आज इंसान पूरी तरह विकसित हो चुका है। यह कोई अतीत की बात नहीं है। विकासक्रम आज भी जारी है और यह आगे भी जारी रहेगा, जब तक की मनुष्य का इस ब्रह्मांड में अस्तित्व है।
लेकिन लगातार पर्यावरण में हो रहे बदलावों से इस बात का संकेत मिलता है कि मनुष्य में बहुत सारे परिवर्तन हो रहे हैं। जैसे की जबड़े और दांतों का आकार छोटा होता जा रहा है। इस तरह से यह कहना बिल्कुल गलत है कि आज का मनुष्य पूरी तरह विकसित हो चुका है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों आपको कैसी लगी यह जानकारी, हमने आपके सवाल पृथ्वी पर मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई? सवाल का जवाब अच्छे से देने की कोशिश की है। लेकिन फिर भी अगर आपको कोई कमी लगती है तो आप हमें comment कर बता सकते हैं। आपके सुझाव हमारे लिए मूल्यवान है।
सबसे पहले आग की खोज किसने की थी?
होमो इरेक्टस ने सबसे पहले आग की खोज की थी।
सबसे पहले औज़ार किस जीव ने बनाए थे?
होमो हैबिलिस ने सबसे पहले औजारों को बनाना और उनका उपयोग करना सीखा था।
हिन्दू धर्म की कौनसी किताब में पृथ्वी पर मानुष्य की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है?
एक पौराणिक किताब ‘दिव्य जीवन’ में इसके बारे में बताया गया है।
You have given very good information related to the universe which is thrilling.
thank you ma’am
Hi Nice site https://google.com
thank you sir
बहुत ही घटिया और ना समझी-बूझी जाने वाली जानकारी।
सर हम आपको अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद देते हैं। अगर आपको किसी भी प्रकार की कोई कमी दिखाई देती है तो आप हमें हमारे Facebook Page पर अपने सुझाव भेज सकते हैं। हम आगे से अच्छा करने के लिए प्रयास करेंगे।
असल बात तो ये कोई हंड्रेड परसेंट यह कह नहीं सकता कि मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई सभी अपने अपने हिसाब से अपने-अपने बातें ही रखे हुए हैं। कोई इस सिद्ध नहीं कर पाया है कि मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई।
जी सर, हम आपकी बात से सहमत हैं।
धन्यवाद, आपकी जानकारी से मै सहमत हूं । अफसोस है कि आज का कुछ मानव इस बीते समय और इस कड़ी मेहनत को न ध्यान देते हुए इतना विकासशील एवम् विकसित हो गया कि मानवता को भूलकर फूट डालो राज करो हथकंडे अपना रहा है और एक दूसरे को काट मार रहा है और पर्यावरण को बचाने की नहीं सोंचता है जिसमें खुद का जीवन है और ऐस आराम कि सोचने में लगा है खुद के लिए और अपने सात पीढियों के लिए और वो पांच रत्नों के बारे में भूला बैठा है जिसमें जीवन है ,धन्यवाद……
पंकज जी हम आपकी बात से सहमत हैं। वास्तव में मानव को अपने अतीत को याद करना चाहिए। ताकि वह खुद को अच्छे से समझ सके।