मोबाइल का आविष्कार किसने किया था?(Mobile Ki Khoj Kisne Ki).
मोबाइल फोन आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी का एक ऐसा साधन है, जिसने हमारी बहुत सी समस्याओं को हल किया है। समय के साथ मोबाइल फोन हमारे दैनिक जीवन में बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। क्योंकि पुराने समय में दूर बैठे किसी व्यक्ति तक अपना संदेश पहुँचाने में 15 से 20 दिन का समय लगता था।
लेकिन अब बस कुछ ही सेकंड में हम दुनिया के किसी भी कोने में, किसी से भी बात कर सकते है। तथा अपना जरूरी से जरूरी काम किसी से बिना मिले फोन पर ही निपटा लेते है। लेकिन क्या आप जानते है इस उपयोगी यंत्र मोबाइल का आविष्कार किसने किया था? (Mobile Ki Khoj Kisne Ki).
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तो आइए मैं आपको बताता हूँ कि मोबाइल का आविष्कार किसने किया था? (Mobile Ki Khoj Kisne Ki) लेकिन उससे पहले हम जान लेते हैं, कि मोबाइल असल में होता क्या है? और यह कैसे काम करता है?
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन एक वायरलेस डिवाइस है। जिसे हम कहीं भी, कैसे भी ले जा सकते है। मोबाइल फोन से हम किसी भी व्यक्ति से बात कर सकते है। जिसके लिए हम फोन पर किसी को कॉल करते है, या किसी और की कॉल प्राप्त करके बात करते हैं। यह सिर्फ हमारे बात करने के काम आता है, बल्कि आज के समय में यह हमारे मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है।
इसके अलावा हम इससे किसी को टेक्स्ट मैसेज और मल्टिमीडिया मैसेज भी कर सकते है। इसे मोबाइल फोन, सेल्यूलर फोन, सेल फोन, हैंड फोन और कभी-कभी सीधा फोन भी कहते है।
आधुनिक मोबाइल सेवा एक सेल्यूलर नेटवर्क सिस्टम पर काम करती है। यह कुछ इस प्रकार से है, जैसे आपने किसी पाइप के एक सीरे से आवाज लगाई गई आवाज, दूसरे कोने पर बिल्कुल साफ सुनाई देती है। लेकिन मोबाइल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर काम करता है। जब हम कॉल करते है, तब मोबाइल फोन आवाज को एक डिजिटल सिग्नल में बदल देता है।
फिर यह सिग्नल पास के मोबाइल टावर में पहुंचता है। यह टावर ऑप्टिकल फाइबर (जो जमीन और महासागरों में बिछी होती है) से जुड़े होते है। फिर वो डिजिटल सिग्नल इन फाइबर की मदद से उस टावर तक पहुंचता है, जिस फ्रिक्वेन्सी पर हमने कॉल किया था। सिग्नल पहुँचने के बाद वो टावर उस डिजिटल सिग्नल को आवाज में बदल देता है, और वो आवाज दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाती है।
मोबाइल फोन का इतिहास
मोबाइल फोन का इतिहास कोई ज्यादा पुराना नहीं है। बात उस समय है कि है, जब रेडियो इंजीनियरिंग अपने शुरुआती चरण में था। तब उस समय सबसे पहले ऐसे फोन की कल्पना की गई थी, जो किसी भी जगह पर ले जाया जा सके।
साल 1917 में “एरिक टाइगरस्टेड” ने एक फ़ोल्ड होने वाले टेलीफ़ोन (जिसे मोबाइल टेलीफ़ोन भी कहते है) का आविष्कार किया, जो आसानी से पॉकेट में रखा जा सकता था।
लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद सही मायने में ऐसे टेलीफ़ोन बनाने की दौड़ शुरू हुई। यह शुरुआती मोबाइल टेलीफ़ोन जीरो जेनेरेशन (0G) के थे। जिनसे सिर्फ एक कॉल ही हो पाती थी, तथा इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा थी। समय के साथ धीरे-धीरे इनमें सुधार होता गया।
आविष्कारकों ने ऐसे कई सिद्धांतों का पालन किया जो ऐसे फोन बनाने में कारगर सिद्ध हो सकते थे। धातु ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (MOS), बड़े पैमाने पर एकीकरण प्रौद्योगिकी (LSI), सूचना सिद्धांत और सेल्यूलर नेटवर्किंग के विकास ने इस काम को और भी आसान कर दिया।
वायरलेस मोबाइल की खोज (Wireless Mobile ki Khoj)
साल 1973 में “जॉन एफ मिचेल” और “मार्टिन कूपर” ने सर्वप्रथम वायरलेस मोबाइल का आविष्कार किया था। जिसे मोटोरोला नाम दिया गया, जो वजन में 2 किलोग्राम का था। दरअसल मोटोरोला एक कंपनी थी, जिसमें मार्टिन इंजीनियर की जॉब करते थे।
उन्होने 1970 में कंपनी में अपना कार्य शुरू किया था और मात्र 3 साल में वो कर दिखाया, जो पिछले 50 वर्षों से संभव नहीं लग रहा था। इसके बाद “मार्टिन” को उस कंपनी का सीईओ बनाया गया। जो उनके लिए बहुत सम्मान की बात थी।
इस शुरुआती फोन से आप सिर्फ 40 मिनट ही बात कर सकते थे, तथा इसको चार्ज करने में 10 घंटे का समय लगता था। उस समय इस फोन की कीमत तकरीबन 2700 अमेरिकी डॉलर के आस-पास थी। यानी मार्टिन कूपर ही वो पहले इंसान थे जिन्होने मोबाइल का आविष्कार किया? (Martin Cooper ne Mobile ki khoj ki).
1G की शुरुआत
साल 1979 में जापान की एक दूरसंचार कंपनी Nippon Telegraph and Telephone (NTT) ने पहले 1G सेल्यूलर नेटवर्क की सेवा शुरू की। 80 के दशक तक दुनिया के अन्य देश भी इस प्रणाली को अपनाने लगे और अपने देश में 1G सेल्यूलर नेटवर्क के विकास पर ज़ोर देने लगे।
1G नेटवर्क से एक साथ कई लोग आपस में बात कर सकते थे। इस तकनीक ने दुनिया में मोबाइल सेवा को एक ऐतिहासिक आयाम दिया। पहले मोबाइल फोन की इतनी ज्यादा कीमत तथा इसमें कमियाँ होने के कारण, 1 दशक तक इसे बाज़ार में नहीं उतारा गया।
लेकिन समय के साथ इसकी खामियाँ दूर की गई, और इसे 1983 में बाज़ार में उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध करवाया गया। इस फोन को Motorola DynaTAC 8000X नाम दिया गया तथा इसकी शुरुआती कीमत 3995 डॉलर रखी गई।
2G की नई दुनिया
इसके बाद शुरुआत होती है डिजिटल सेल्यूलर नेटवर्क या डिजिटल सेल्यूलर टेक्नोलोजी की। 1991 में Radiolinja (A Finish GSM Operator) ने GSM मानक पर 2G डिजिटल सेल्यूलर टेक्नोलोजी की शुरुआत की।
Radiolinja, फ़िनलैंड की एक GSM Operator कंपनी है। इस टेक्नोलोजी ने इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा दिया। अब सभी इस क्षेत्र में इंजीनीयर एक से बढ़कर एक आविष्कार करना चाहते थे।
3G की शुरुआत
इसी प्रतिस्पर्धा ने 2001 में 3G सेवा की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई। जिसे जापान में NTT DoCoMo के द्वारा शुरू किया गया। 3G ने दुनियाभर में मोबाइल इंटरनेट उपयोग करने वालों को एक नया साधन दिया। तथा 3G से अब खुलकर इंटरनेट का उपयोग होने लगा था। लेकिन 2009 तक आते-आते 3G में भी कमियाँ दिखाई देने लग गई थी।
क्योंकि 3G मीडिया स्ट्रीमिंग में अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाई। बस इन्हीं कमियों को दूर करने के लिए 3G से भी दस गुना नेटवर्क का विकास किया जाने लगा। जिसमें इंटरनेट की स्पीड 3G से ज्यादा थी। इसी नए नेटवर्क को चौथी पीढ़ी का नेटवर्क या 4G कहा गया।
तो यह थी दुनिया में मोबाइल का इतिहास। मोबाइल का आविष्कार किसने किया? (Mobile Ki Khoj Kisne Ki). कैसे हम 0G से शुरू होकर 5G तक पहुँच गए। बस कुछ ही समय में दुनिया में 5G की एंट्री होने वाली है।
मोबाइल फोन के प्रकार
मोबाइल तीन प्रकार के होते है- स्मार्टफोन (Smartphone), फीचर फोन (Feature Phone) और कोशर फोन (Kosher Phone).
स्मार्टफोन
स्मार्टफोन अपने नाम के अनुरूप स्मार्ट होता है। आजकल दुनिया में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन की डिमांड है। स्मार्टफोन एक ऐसा मोबाइल डिवाइस है जिसमें सेल्यूलर और कम्प्यूटिंग दोनों टेक्नोलोजी एक साथ होती है। अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और मजबूत हार्डवेयर के कारण यह फीचर फोन से बहुत शक्तिशाली होता है।
इसमें हम मल्टिमीडिया प्रोग्राम (संगीत, वीडियो और कैमरा), इंटरनेट ब्राउज़िंग, वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, टेक्स्ट मेसजिंग आदि अनेक सुविधाएं एक साथ मिलती है। साथ ही इसकी स्क्रीन टच से काम करती है। इसमें बटन नहीं होते है।
आधुनिक स्मार्टफोन में मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (MOC) और इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) की चिप होती है। जिनमें सेन्सर Sensor लगाए जाते है। इन्हीं सेंसर से स्मार्टफोन में Wi-Fi, Bluetooth और GPS की तकनीक काम करती है।
फीचर फोन
फीचर फोन एक प्रकार का मोबाइल फोन है, लेकिन यह स्मार्टफोन जितना स्मार्ट नहीं है। यह बटन से दी हुई इनपुट से चलता है तथा इसमें एक छोटी सी डिस्प्ले होती है। फीचर फोन को कभी-कभी डंबफोन भी कहा जाता है। फीचर फोन एक सरल ग्राफिक यूजर इंटरफ़ेस पर काम करता है। फीचर फोन का उपयोग ज़्यादातर वॉइस कॉलिंग और टेक्स्ट मैसेजिंग के लिए किया जाता है।
इसके अलावा इसमें साधारण मल्टिमीडिया सिस्टम, 2G सेल्यूलर नेटवर्क, एक हार्डवेयर नोटिफ़िकेशन एलईडी, एक माइक्रो यूएसबी पोर्ट, एक फिजिकल कीबोर्ड, एक माइक्रोफोन, एक एसडी कार्ड स्लॉट, वीडियो और फोटो के लिए साधारण सा कैमरा होता है। आजकल कुछ फीचर फोनों में साधारण से एप स्टोर होता है, जिसमें बुनियादी सॉफ्टवेर कैलेंडर, गेम, कैल्कुलेटर आदि शामिल होते है।
कोशर फोन
यह फोन दुनिया के चुनिन्दा देशों में ही उपयोग में लिया जाता है। यह वो फोन होते है जिन पर काफी पाबंदिया लगाई जाती है। क्योंकि आज के समय में आधुनिक फोनों ने बच्चों की ज़िंदगी पर काफी प्रभाव डाला है। इस समस्या से निपटने के लिए स्मार्टफोन में बहुत से एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगा दिये जाते है। जिससे बच्चे फोन को ज्यादा समय तक चला नहीं पाते है।
आज हमने मोबाइल क्या है? मोबाइल का आविष्कार किसने किया? Mobile ki khoj kisne ki? मोबाइल क्या है? मोबाइल के कितने प्रकार है? आदि के बारे में जाना और पाया की महज कुछ ही वर्षों में मोबाइल ने हमें और हमारे रहन-सहन को बदल कर रख दिया है।
मोबाइल का आविष्कार (Mobile ki khoj) किसने किया ?
साल 1973 में “जॉन एफ मिचेल” और “मार्टिन कूपर” ने सर्वप्रथम वायरलेस मोबाइल का आविष्कार किया था। जिसे मोटोरोला नाम दिया गया, जो वजन में 2 किलोग्राम का था। दरअसल मोटोरोला एक कंपनी थी, जिसमें मार्टिन इंजीनियर की जॉब करते थे।