5 सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाएं
प्रकृति जब अपने रौद्र रूप में आती है तो बहुत तबाही मचाती है। इस तबाही का माध्यम प्राकृतिक आपदाएँ होती है। ये प्राकृतिक आपदाएँ इतनी विनाशकारी होती है कि अपने रास्ते में आने वाली प्रत्येक वस्तु को क्षतिग्रस्त या नुकसान पहुंचाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, तूफान, सुनामी, बाढ़, जंगल की आग और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं में लगभग 1,00,000 लोग मारे जाते हैं। जबकि दुनिया भर में 150 मिलियन से अधिक लोग इससे प्रभावित होते हैं। मानव जीवन की शुरुआत से ही हिंसक प्राकृतिक आपदाएं मानव जीवन का एक तथ्य रही हैं। लेकिन इनमें से सबसे प्राचीन आपदाओं में होने वाली मौतों की संख्या इतिहास में खो गई है।
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उदाहरण के लिए थेरा (अब सेंटोरिनी, ग्रीस) के प्राचीन भूमध्यसागरीय द्वीप में एक विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था। जिसने 1600 ईसा पूर्व के आसपास पूरी मिनोअन सभ्यता को खत्म कर दिया था। लेकिन इस विस्फोट में कितने लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था, इसका हमारे पास कोई आंकड़ा नहीं है।
हालांकि प्राचीन अभिलेखों और पत्रिकाओं में इनके बारे में कुछ न कुछ जरूर बताया गया है। जिससे हम इन त्रासदियों में हुई मौतों का अनुमान लगा सकते हैं। नीचे हमने इन्हीं ऐतिहासिक रिकोर्डों के अनुसार मानव इतिहास की 5 सबसे विनाशकारी आपदाओं के बारे में बताया है।
साल 1138 में आया अलेप्पो भूकंप
11 अक्टूबर, 1138 को सीरिया के अलेप्पो शहर के नीचे की जमीन अचानक से हिलने लगी। यह शहर अरब और अफ्रीकी प्लेटों के संगम पर बसा हुआ होने के कारण इसके भूकंप की चपेट में आने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। परंतु यह भूकंप बहुत शक्तिशाली था। भूकंप की तीव्रता समय के साथ खो गई, लेकिन समकालीन इतिहासकारों ने बताया कि उस समय पूरा का पूरा अलेप्पो शहर ढह गया था।
यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसमें मरने वालों की संख्या लगभग 230, 000 थी। हालांकि यह आंकड़ा 15वीं शताब्दी का है और जिस इतिहासकार ने इसके बारे में जानकारी दी थी, शायद उसने सिर्फ अलेप्पो शहर के बारे में बताया हो। परंतु हो सकता है कि इसका प्रभाव अन्य शहरों पर भी पड़ा हो। फिर भी यह माना जाता है कि मरने वालों की संख्या इस घटना को अब तक की 10वीं सबसे घातक प्राकृतिक आपदा के रूप में जोड़ती है।
2004 की हिंद महासागर में भूकंप और सूनामी
26 दिसंबर, 2004 को इंडोनेशिया के इतिहास का सबसे प्राणघातक दिन माना जाता है। इस दिन इंडोनेशिया के सुमात्रा के पश्चिमी तट पर समुद्र के नीचे 9.1 तीव्रता का शक्तिशाली और विनाशकारी भूकंप आया था। यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसने समुद्र की गहराई में एक जबर्दस्त हलचल पैदा की।
परिणामस्वरूप इस भूकंप ने एक विशाल सुनामी पैदा की जो अपने तीव्र वेग से समुद्री किनारों की तरफ बढ़ने लगी। कुछ ही समय बाद इस सुनामी ने किनारों पर पहुँचकर भयंकर तबाही मचाई। आंकड़ों की बात करें तो इस आपदा में 2,30,300 लोग मारे गए और 14 दक्षिण एशियाई पूर्वी अफ्रीकी देशों में लगभग 20 लाख लोग बेघर हो गए थे।
500 मील प्रति घंटे (804 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से यह सुनामी सिर्फ 15 से 20 मिनट के समय में जमीन पर पहुंच गई। इतने कम समय में लोग ऊंची जमीन पर भाग नहीं सके और वो इस आपदा के शिकार हो गए।
वर्ल्ड विजन (एक मानवीय सहायता संगठन) के अनुसार कुछ स्थानों पर, विशेष रूप से सबसे अधिक प्रभावित इंडोनेशिया में सुनामी की लहर की ऊंचाई 100 फीट (30 मीटर) तक पहुंच गई थी। एक अनुमान के मुताबिक भूकंप और सुनामी से तकरीबन 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था।
एनओएए के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (NOAA’s National Centers for Environmental Information) के अनुसार इस भूकंप को 1900 के बाद से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है। साथ ही इसकी सुनामी ने रिकॉर्ड किए गए आज तक के इतिहास में किसी भी अन्य सुनामी की तुलना में सबसे ज्यादा लोगों की जान ली है।
1976 में आया तांगशान का भूकंप
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) की एक रिपोर्ट के अनुसार 28 जुलाई 1976 को सुबह 3:42 बजे चीनी शहर तांगशान 7.8 तीव्रता के भूकंप से धराशायी हो गया था। आपदा के समय लगभग 10 लाख की आबादी वाला एक औद्योगिक शहर तांगशान में तकरीबन 2,40,000 से अधिक लोग हताहत हुए।
हालांकि यह आधिकारिक मौत का आंकड़ा था, परंतु कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि असल में मौतों का आंकड़ा इससे भी ज्यादा था। इनके अनुमान के मुताबिक इस आपदा में लगभग 7 लाख लोगों की मौत हुई थी। कथित तौर पर कहें तो इस भूकंप में तांगशान की 85% इमारतें ढह गईं थी और 100 मील (180 किमी) से अधिक दूर बीजिंग में झटके महसूस किए गए। तांगशान शहर को उसी तरह फिर से बनाने में कई साल लग गए।
526 का अन्ताकिया भूकंप
इतिहास में पहले हुई सभी आपदाओं की तरह अन्ताकिया भूकंप में हुई मौतों का सटीक आंकलन करना बहुत मुश्किल है। उस समय के समकालीन इतिहासकार जॉन मलालास ने उस समय लिखा था कि मई, 526 में बीजान्टिन साम्राज्य के शहर (अब तुर्की और सीरिया) में आए इस विनाशकारी भूकंप में लगभग 250,000 लोग मारे गए थे। मलालास ने इस आपदा को ईश्वर के क्रोध का बताया था।
2007 में द मिडीवल हिस्ट्री जर्नल में छपी एक पत्रिक के अनुसार उस समय मरने वालों की संख्या शहर की जनसंख्या से अधिक थी। क्योंकि उस समय पूरा शहर स्वर्गारोहण दिवस मनाने वाले पर्यटकों से भरा था, यह स्वर्गारोहण ईसाई देवता यीशु के स्वर्ग में जाने की याद दिलाता है।
1920 हैयुआन भूकंप
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के एक भूविज्ञानी देंग किदोंग ने 2010 में एक सेमिनार के दौरान कहा “हैयुआन भूकंप 20वीं शताब्दी में चीन में सबसे अधिक तीव्रता के साथ दर्ज किया गया सबसे बड़ा भूकंप था।”
16 दिसंबर, 1920 को उत्तर मध्य चीन के हैयुआन काउंटी में आए इस भूकंप ने पड़ोसी गांसु और शानक्सी प्रांतों को भी हिला दिया था। यह कथित तौर पर रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.8 थी, परंतु चीन आज दावा करता है कि इसकी तीव्रता 8.5 थी। इस भूकंप में मारे गए लोगों की संख्या में भी विसंगतियां हैं।
यूएसजीएस ने कुल 200,000 लोगों के हताहत होने की पुष्टि की है, लेकिन 2010 में चीनी भूकंप विज्ञानियों के एक अध्ययन के अनुसार मरने वालों की संख्या 273,400 तक थी। लैंडस्लाइड्स पत्रिका में प्रकाशित 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, इस क्षेत्र में ढीली मिट्टी (छिद्रपूर्ण, सिल्टी तलछट जो बहुत अस्थिर है) के उच्च जमाव ने बड़े पैमाने पर भूस्खलन के लिए जिम्मेदार है।