भारत का मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) मंगल ग्रह की परिक्रमा करते हुए आठ साल बिताने के बाद आखिरकार अपने अंत में पहुंच गया है।

Indian Space Research Organisation (ISRO) द्वारा संचालित सभी ग्राउंड स्टेशनों का अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया है।

मंगलयान (MOM) ने आठ वर्षों तक लगातार धरती पर इन्फॉर्मेशन भेजी है।

हालांकि इस मिशन का उद्देश्य केवल 6-8 महीनों तक ही काम करना था।

लेकिन इसकी एनर्जी और सही तकनीक ने आठ वर्षों तक इसे लगातार सही मार्ग पर रखा।

इसे नवंबर 2013 में लॉन्च किया गया था और सितंबर 2014 में इसने मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था।

हालांकि इसरो ने अभी तक एक आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

लेकिन एक सूत्र ने बताया कि "सैटेलाइट बैटरी" खत्म हो गई है, जिस कारण मंगलयान के साथ लिंक खो गया है।

मंगलयान में 4.6 x 6-फुट (1.4 x 1.8-मीटर) solar array wing होता है, जिसमें अंतरिक्ष यान के एक तरफ लगे तीन पैनल होते हैं।

यह solar array wing मंगल पर 800 वाट बिजली उत्पन्न कर लिथियम-आयन बैटरी चार्ज कर सकती है। 

लेकिन अंतरिक्ष यान ने हाल ही में काफी ग्रहणों का सामना किया है, जिसने बैटरी को रिचार्ज नहीं होने दिया।

हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण हुए, जिसमें एक ग्रहण साढ़े सात घंटे तक चला।

चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया था।