MIT इंजीनियर्स ने एक Wireless Underwater Camera बनाया है, जिसे बैटरियों की आवश्यकता नहीं होगी।

नया अंडरवाटर कैमरा वैज्ञानिकों को समुद्र के अज्ञात क्षेत्रों का पता लगाने, प्रदूषण को ट्रैक करने या जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की निगरानी करने में मदद कर सकता है।

वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार, पृथ्वी के 95 प्रतिशत से अधिक महासागरों के क्षेत्र को कभी नहीं देखा गया है।

जिसका अर्थ है कि हमने अपने ग्रह के महासागरों को चंद्रमा के दूर के हिस्से या मंगल की सतह की तुलना में भी कम देखा है।

समुद्र के भीतर रिसर्च करने में एक बड़ी चुनौती एक लंबे समय तक पानी के भीतर कैमरे को चलाने की उच्च लागत है।

रिसर्च के समय कैमरा की बैटरी को रिचार्ज करने के लिए अक्सर एक जहाज साथ ले जाना पड़ता था।

एमआईटी इंजीनियरों ने एक ultra-efficient battery-free, wireless underwater camera विकसित करके इस समस्या को दूर करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।

यह अन्य पानी के नीचे के कैमरों की तुलना में लगभग 100,000 गुना अधिक energy-efficient है।

गहरे पानी के भीतर के वातावरण में भी, यह डिवाइस रंगीन इमेजस ले सकता है।

इस ऑटोनॉमस कैमरे की खास बात यह है कि यह साउंड से ऑपरेट होता है।

यह पानी के माध्यम से यात्रा करने वाली ध्वनि तरंगों से यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जिससे इसे पावर मिलती है।

क्योंकि इसके लिए किसी Power Source की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए कैमरा एक सप्ताह तक चल सकता है।

इससे वैज्ञानिकों को नई प्रजातियों के लिए समुद्र के दूरस्थ भागों में खोज करने में मदद मिलेगी।

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